नई दिल्ली: पूर्वी लद्दाख की पैंगोंग झील से अपनी सेना पीछे हटाने के लिये चीन को राजी कर लेना,उतना आसान नहीं था. लेकिन भारत ने कुटनीतिक प्रयासों के साथ ही सैन्य स्तर पर सारी ताकत इस पर लगा रखी थी कि अपनी एक इंच जमीन गंवाए बगैर चीन को अपनी सेना पीछे हटाने के लिए मजबूर किया जाये. आखिरकार भारत को इसमें कामयाबी मिली.रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सियासी तौर भले ही इसे जीत बताया है,पर सही मायने में यह हमारी विदेश नीति और सैन्य स्तर पर अपनाए गये दूरदर्शी प्रयासों का नतीजा है. कह सकते हैं कि कुछ गंवाये बगैर हमने चीन को आईना दिखा दिया है.


अगले एक-दो दिन में भारत और चीन के कोर कमाण्डरों के बीच होने वाली वार्ता के बाद दोनों देश चरणबद्ध तरीके से अपनी सेनाओं को पीछे हटाएंगे. यह दसवें दौर की वार्ता होगी और इस समझौते के तहत LAC पर स्टेटस को यानी अप्रैल 2020 वाली स्थिति को बरकरार रखा जाएगा.भारत के लिये यही सबसे बड़ी उपलब्धि है क्योंकि पिछले नौ महीने से राजनीतिक दलों समेत जनमानस के दिमाग में भी यही बात थी कि चीन ने पूर्वी लद्दाख में हमारी कई किलोमीटर जमीन पर कब्जा कर लिया है और वह पीछे हटने को तैयार नहीं है.यही वजह है कि आज राजनाथ ने राज्यसभा में इस पहलू पर खास जोर दिया कि भारत ने बगैर किसी नुकसान के चीन को इस समझौते के लिए राजी किया है.


इस मुकाम तक पहुंचने के लिए सितंबर 2020 से लगातार सैन्य और राजनयिक स्तर पर दोनों पक्षों में कई बार बातचीत हुई कि इस डिसइंगेजमेंट का परस्पर स्वीकार्य करने का तरीका निकाला जाए. अभी तक वरिष्ठ कमांडर के स्तर पर 9 राउंड की बातचीत हो चुकी है.


विभिन्न स्तरों पर चीन के साथ हुई वार्ता के दौरान सबसे अहम उपलब्धि यह रही कि इस बातचीत में हमने कुछ भी खोया नहीं है. बता दें कि पैंगोंग झील कुदरत का एक नायाब तोहफा है और 1962 से ही चीन इस पर अपना कब्जा जमाने की कोशिश करता रहा है.आमीर खान की फ़िल्म "थ्री इडियट्स" का बड़ा हिस्सा इस झील के आसपास ही फिल्माया गया है..