Indian Army Missing Soldier: मिल गया 5 दिनों से लापता सेना का जवान, मेडिकल जांच के बाद आर्मी और पुलिस करेगी पूछताछ
Indian Army Soldier Missing: स्थानीय लोगों के अनुसार, उन्होंने राष्ट्रीय राइफल्स की खुफिया इकाई में काम किया था और कुलगाम जिले में कई ऑपरेशनों का हिस्सा थे.
Indian Army Soldier Kidnapped: जम्मू-कश्मीर के कुलगाम से लापता हुए भारतीय सेना के जवान जावेद अहमद वानी को गुरुवार (3 अगस्त) को पुलिस की टीम ने ढूंढ निकाला. जम्मू-कश्मीर पुलिस के ट्वीट के मुताबिक, एडीजीपी कश्मीर ने कहा कि जवान जावेद अहमद की मेडिकल जांच के बाद उससे पूछताछ की जाएगी. इस पूछताछ में सेना और पुलिस दोनों के अधिकारी शामिल होंगे.
जावेद अहमद वानी 29 जुलाई को छुट्टी पर अपने घर आया हुआ था. इसी दौरान वह शाम को करीब साढ़े 8 बजे लापता हो गया. जवान के परिवार की ओर से बताया गया कि उसका अपहरण कर लिया गया है. हालांकि, जवान की बरामदगी के बाद पुलिस ने अभी तक इस मामले में कोई और जानकारी साझा नहीं की है. अभी केवल उसके बरामद होने और पूछताछ किए जाने की बात सामने आई है.
2013 में ज्वाइन की थी भारतीय सेना
कुलगाम के अस्थल गांव के रहने वाले 28 वर्षीय जावेद अहमद वानी अपने गांव के 6 अन्य लड़कों के साथ 2013 में भारतीय सेना में शामिल हुए थे. उन्होंने शारीरिक और लिखित परीक्षा उत्तीर्ण की और 2014 में उन्हें जम्मू और कश्मीर लाइट इन्फैंट्री (JAKLI) रेजिमेंट की तीसरी बटालियन में शामिल किया गया.
उग्रवाद के खिलाफ लड़ी जंग
एक जवान के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान जावेद ने सेना की विशिष्ट उग्रवाद विरोधी इकाई राष्ट्रीय राइफल्स की 9वीं बटालियन के साथ दो कार्यकाल तक सेवा की. वह अपने पैतृक कुलगाम जिले में तैनात थे और कुलगाम के चावलगाम में स्थित एक सैन्य प्रतिष्ठान में कार्यरत थे.
स्थानीय लोगों के अनुसार, उन्होंने राष्ट्रीय राइफल्स की खुफिया इकाई में काम किया था और कुलगाम जिले में कई ऑपरेशनों का हिस्सा थे. उनकी सुरक्षा चिंताओं के कारण उनके सफल आतंकवाद विरोधी अभियानों के बारे में कोई विवरण उपलब्ध नहीं है, क्योंकि सेना की ओर से आमतौर पर ऐसे अभियानों की जानकारी सार्वजनिक नहीं की जाती है.
लोगों की हमेशा करता था मदद
स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार, जावेद बचपन से ही मदद करने वाले स्वभाव के व्यक्ति रहे हैं. वह गरीब लोगों की मदद करने में हमेशा आगे रहते हैं और अपने अपहरण से ठीक दो दिन पहले उसने पास के गांव के एक मरीज को खून दिया था.
2014 की बाढ़ के दौरान, उन्होंने अपने गांव के अन्य युवाओं के साथ बाढ़ में फंसे लोगों की मदद के लिए अथक प्रयास किया था. स्थानीय लोगों के मुताबिक, उनका कोई दुश्मन नहीं था और उन्हें उग्रवादियों से कभी कोई खतरा नहीं था.
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