सेना के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा है कि विकलांगता पेंशन से जुड़े नियम और जांच इतनी सख्त है कि गलत तरीके से पेंशन मिलना नामुमकिन है. उन्होंने कहा कि कई पर लेवल जांच होती हैं इसलिए कानून का दुरुपयोग संभव नहीं है. आर्मी हॉस्पिटल के कमांडेंट लेफ्टिनेंट जनरल अजित नीलकांतन ने कहा कि विकलांगता पेंशन के लिए लाए गए नए नियमों ने प्रणाली को सुव्यवस्थित किया है और विभिन्न स्तर पर जांच की वजह से नियम के प्रावधानों के साथ गड़बड़ी की कोई गुंजाइश ही नहीं है.
लेफ्टिनेंट जनरल अजित नीलकांतन ने कहा कि विकलांगता पेंशन से जुड़े हर मामले की जांच मेडिकल बोर्ड करता है और साथ ही हर स्तर पर नियमों का सख्ती से पालन किया जाता है. उन्होंने कहा कि सशस्त्र बल के कर्मियों के लिए हताहत पेंशन और विकलांगता मुआवजा पुरस्कारों के लिए पात्रता नियम 2023, नामक नियम तीनों सेनाओं, सशस्त्र बल चिकित्सा सेवाओं और पूर्व सैनिकों के विभाग से जुड़े एक अध्ययन की सिफारिशों के आधार पर लाए गए थे.
नया नियम, एनटाइटलमेंट रूल्स फॉर कैजुएल्टी पेंशन एंड डिसएबिल्टी कंपोजिशन अवॉर्ड्स के तहत सैनिकों और 21 सितंबर, 2023 को शामिल हुए गाइड और मेडिकल अधिकारियों समेत विभिन्न कर्मचारी आते हैं. एलजी अजित ने कहा कि संशोधित नीति 2017 में लाए गए राइट्स ऑफ पर्सन्स विद डिसएबलिटी एक्ट के अनुरूप है.
पिछले साल अक्टूबर में सैन्य कर्मियों को विकलांगता पेंशन देने के नियमों में बदलाव किया गया था. इसे लेकर कुछ पूर्व सैन्य कर्मियों ने चिंता जताई थी. चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने कहा था कि सशस्त्र बलों के कर्मियों को विकलांगता पेंशन देने के नए नियम तीनों सेवाओं के बीच चर्चा के बाद लाए गए थे. नए नियमों का मकसद पात्र लोगों के हितों की रक्षा करना है. रक्षा मंत्रालय ने नियमों में बदलाव कर रक्तचाप और हृदय जैसी जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों के लिए पेंशन की पात्रता मानदंड में कटौती की थी.
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