नई दिल्ली: पूर्वोत्तर के राज्य मिजोरम में आज 7,70,395 मतदाता नेताओं की किस्मत का फैसला करेंगे. मिजोरम में हैट्रिक लगाने उतरे सीएम लल थनहवला को रोकने के लिए बीजेपी पूरी ताकत लगा रही है. पूर्वोत्तर का मिजोरम ही ऐसा राज्य है जहां कांग्रेस की सरकार बची है. 1987 में पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने के बाद से किसी भी पार्टी की सरकार दो बार से ज्यादा नहीं बनी है. आबादी की बात करें तो यहां 10 लाख लोगों की आबादी है.
मिजोरम में 7,70,395 मतदाता हैं जो 1,164 मतदान केंद्रों में अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे. त्रिपुरा के छह शिविरों में रहने वाले ब्रू शरणार्थियों के लिए ममित जिले के कानहमुन गांव में अतिरिक्त 15 विशेष मतदान केंद्र बनाए गए हैं. मिजोरम में वोटों की गिनती मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और तेलंगाना के साथ 11 दिसंबर को ही होगी.
मिजोरम में विधानसभा की 40 सीटें हैं, यह चुवाल बीजेपी के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है. मिजोरम में अगर बीजेपी कांग्रेस को हरा देती है, पूर्वोत्तर में पूरी तरह कांग्रेस का सफाया हो जाएगा. साल 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 34 सीटों पर जीत दर्ज की थी. वहीं मुख्य विपक्षी मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) के खाते में पांच और मिजोरम पीपुल्स कांफ्रेंस की झोली में एक सीट आई थी.
कांग्रेस और एमएनएफ ने सभी 40 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं, वहीं बीजेपी 39 सीटों पर ही चुनाव लड़ रही है. मिजोरम में चुनाव प्रचार भी दिलचस्प रहा, पीएम नरेन्द्र मोदी, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी यहां रैली की.
मिजोरम में कुल 209 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं, मुख्यमंत्री दो सीटों सेरछीप और छंपाई दक्षिण से चुनाव लड़ रहे हैं. मिजोरम के इतिहास की बात करें को पूर्ण दर्जा मिलने के बाद से कांग्रेस1998 से 2008 के बीच के वर्षो को छोड़कर सत्ता में रही है.