Mizoram Election 2023: मिजोरम में इस बार सत्ता के लिए तीन दावेदार, जानिए कौन है जनता में पॉपुलर, कौन होगा दमदार
Mizoram Election 2023 News: मिजोरम विधानसभा का चुनाव 7 नवंबर को है. यहां 40 सीटों के लिए वोटिंग है. इस बार यहां की राजनीति पर सबकी नजर है. दरअसल, इस बार सीएम की रेस में तीन पार्टियों से तीन लोग हैं.
Mizoram Election 2023 Date: मिजोरम में इस बार काफी दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल रहा है. यहां मिजो नेशनल फ्रंट (MNF), कांग्रेस और जोरम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) के बीच त्रिकोणीय मुकाबला हो सकता है. तीनों ही पार्टी की तरफ से मुख्यमंत्री पद के भी तीनों दावेदार दमदार हैं. मौजूदा सीएम जोरमथांगा की बहुसंख्यक मिजो समुदाय में पकड़ अब भी कायम है.
वहीं नए अध्यक्ष लालसावता के नेतृत्व में कांग्रेस फिर से वापस आने की पूरी कोशिश कर रही है और आक्रामक रूप से जोरमथांगा को सत्ता से हटाने में लगी है. वहीं तीसरी पार्टी है जोरम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) जिसने मजबूती से अपना दावा पेश किया है. आइए देखते हैं किस में कितना दम है और कौन किस पर भारी पड़ सकता है.
1. जोरामथांगा
जोरमथांगा एक उग्रवादी नेता थे. 1987 में जब तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने मिजो उग्रवादी नेता लालडेंगा के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर किया और मिजोरम को एक राज्य बनाया तब जोरमथांगा ने हथियार छोड़ राजनीति का रुख किया. कॉलेज में रहते हुए जोरमथांगा मिजो आंदोलन की ओर आकर्षित हुए थे और आगे बढ़ते हुए लालडेंगा के सबसे भरोसेमंद सहयोगी बन गए थे. 1990 में अपने गुरु लालडेंगा की मौत के बाद, वह एमएनएफ के अध्यक्ष बने, जो एक उग्रवादी संगठन से एक राजनीतिक दल में बदल गया था. वह छह बार राज्य विधानसभा के लिए चुने गए और तीन बार (1998-2008 और 2018-2023) मुख्यमंत्री रहे. वह अपने निर्वाचन क्षेत्र आइजोल पूर्व-I से रिकॉर्ड सातवीं बार फिर से चुनाव लड़ रहे हैं.
जोरमथांगा का एमएनएफ भाजपा के नेतृत्व वाले नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस (एनईडीए) का हिस्सा है और केंद्र में एनडीए का सहयोगी है. सत्ता विरोधी लहर के अलावा मणिपुर के दंगे जोरमथांगा के एमएनएफ के लिए एक और चुनौती पैदा कर सकते हैं क्योंकि उनका मुख्य मतदाता आधार मिजोरम की बहुसंख्यक ईसाई आबादी के बीच है, लेकिन खतरे को भांपते हुए उन्होंने खुद को भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार से दूर कर लिया है. उन्होंने कहा कि एमएनएफ एनडीए और एनईडीए में शामिल हुआ क्योंकि वह पूरी तरह से कांग्रेस के खिलाफ है और उसके नेतृत्व वाले किसी भी गठबंधन का हिस्सा नहीं बनना चाहता. राजनीतिक एक्सपर्ट मानते हैं कि मणिपुर और म्यांमार के शरणार्थियों से निपटने की वजह से जोरमथांगा की संभावनाओं को मदद मिलेगी और उनकी सरकार के अच्छे काम से उन्हें बढ़त मिल सकती है.
2. लालसावता
लालसावता मिजोरम के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले लाल थनहवला के रिटायर्ड होने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष बने हैं. थनहवला 2018 में दो निर्वाचन क्षेत्रों से हार गए थे. थनहवला के तहत तीन बार के विधायक, लालसावता राज्य कांग्रेस के उपाध्यक्ष रहे हैं और थान्हावला की सरकार में वित्त मंत्री भी रहे हैं. लालसावता आइजोल पश्चिम-III निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं. यह अपनी साफ-सुथरी छवि की वजह से लोगों के बीच पॉपुलर हैं. कांग्रेस उन्हें ऐसे व्यक्ति के रूप में पेश कर रही है जो भारी कर्ज से जूझ रहे राज्य की वित्तीय समस्याओं को ठीक कर सकता है. लालसावता के कंधे पर कांग्रेस को पुनर्जीवित करने का भार है जो 2013 में आई 34 सीटों से घटकर 2018 के चुनावों में पांच सीटों पर सिमट गई थी. युवा होने के कारण वह अधिक सक्रिय हैं. ये चीजें इन्हें कुछ बढ़त दिलाती दिख रही हैं.
3. लालदुहोमा
लालदुहोमा नई पार्टी, जोरम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) के नेता हैं. यह पार्टी युवाओं के बीच अपनी बढ़ती लोकप्रियता के कारण रेस में आ गए हैं. पार्टी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार लालदुहोमा युवाओं में काफी मशहूर हैं. वह एक पूर्व आईपीएस अधिकारी हैं जिन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सुरक्षा में काम किया था. उन्होंने कांग्रेस में शामिल होने के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी और कथित तौर पर इंदिरा गांधी ने उन्हें लंदन में मिजो उग्रवादी नेता लालडेंगा के साथ बातचीत करने और उन्हें शांति वार्ता के लिए मनाने के लिए भेजा था. लालडेंगा ने अंततः 1987 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए.
लालदुहोमा ने 1984 में मिजोरम से कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा सीट जीती थी, लेकिन बाद में उनका राज्य कांग्रेस नेताओं से मतभेद हो गया और पार्टी व्हिप का उल्लंघन करने के कारण उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया, वे 1988 में दल-बदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य घोषित होने वाले पहले लोकसभा सांसद बने. 2018 में लालदुहोमा ने एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में दो सीटों, आइजोल पश्चिम- I और सेरछिप से चुनाव जीता. बाद में उन्होंने सेरछिप को बरकरार रखने के लिए आइजोल पश्चिम-I सीट खाली कर दी, जहां उन्होंने कांग्रेस के दिग्गज नेता और मौजूदा मुख्यमंत्री थान्हावला को हराया. लालदुहोमा सेरछिप से मैदान में हैं.
लालदुहोमा मुख्यमंत्री पद के लिए एक प्रबल दावेदार हैं क्योंकि उनकी पार्टी ZPM राज्य की राजनीति में एमएनएफ-कांग्रेस के प्रभुत्व से मुक्ति और स्वच्छ सरकार का वादा कर रही है. इसलिए जनता में उनकी लोकप्रियता अच्छी है. 74 साल की उम्र में वह अपेक्षाकृत युवा नजर आते हैं.
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