Mizoram Election 2023: कौन हैं लालदुहोमा जिन्होंने मिजोरम चुनाव में उड़ा रखी है सत्ताधारी MNF और कांग्रेस की नींद, जानिए कुछ खास बातें
Mizoram Elections 2023: मिजोरम में 2018 में हुए चुनाव में मिजो नेशनल फ्रंट ने 40 सीटों वाली विधानसभा में 26 सीटें जीती थीं, जबकि कांग्रेस को 5 सीट मिली. जोरम पीपुल्स मूवमेंट के खाते में 8 सीटें आईं.
Mizoram Election 2023 Date: मिजोरम कहने को तो छोटा राज्य है और इसकी विधानसभा भी छोटी है, लेकिन 40 सदस्य वाली यह विधानसभा इन दिनों काफी चर्चा में है. दरअसल यहां 7 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव के मतदान की वजह से पूरे देश में इस पर बात हो रही है. यहां इस बार त्रिकोणीय मुकाबला होने की संभावना है.
मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) और कांग्रेस के साथ-साथ इस बार लालदुहोमा के नेतृत्व वाली जोरम नेशनलिस्ट पार्टी (जेडएनपी) भी चुनाव में ताल ठोक रही है. इस बार सबसे ज्यादा ध्यान लालदुहोमा और उनकी पार्टी एमएनएफ ही खींच रही है. लालदुहोमा युवाओं में काफी लोकप्रिय हैं. वह मिजोरम के विकास और राज्य को कांग्रेस और एमएनएफ से मुक्ति दिलाने की बात कहते हैं. उन्हें मिजोरम के सीएम का प्रबल दावेदार बताया जा रहा है. आइए आपको बताते हैं लालदुहोमा से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें.
लालदुहोमा से जुड़ी दिलचस्प बातें
- - लालदुहोमा मिजोरम के एक पूर्व आईपीएस अधिकारी हैं. 1977 में आईपीएस बनने के बाद उन्होंने गोवा में एक स्क्वाड लीडर के रूप में काम किया और तस्करों पर कार्रवाई की. उनकी उपलब्धियां राष्ट्रीय मीडिया में छाने लगीं. इसके बाद 1982 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के सुरक्षा प्रभारी के रूप में उनकी तैनाती हुई.
- - लालदुहोमा 1984 में सांसद के रूप में लोकसभा के लिए चुने गए थे. पर इनके नाम एक अनोखा रिकॉर्ड दर्ज है. लालदुहोमा दलबदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य घोषित होने वाले पहले सांसद थे और 1988 में कांग्रेस में अपनी सदस्यता छोड़ने के कारण उन्हें लोकसभा से बाहर कर दिया गया था.
- - लालदुहोमा ज़ोरम नेशनलिस्ट पार्टी (ZNP) के संस्थापक और अध्यक्ष हैं. उन्हें 2018 मिजोरम विधान सभा चुनाव में ZNP के नेतृत्व वाले ज़ोरम पीपुल्स मूवमेंट (ZPM) गठबंधन के पहले मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में चुना गया था.
- - आइजोल पश्चिम-1 और सेरछिप दोनों निर्वाचन क्षेत्रों से निर्वाचित लालदुहोमा ने सेरछिप का प्रतिनिधित्व करना चुना. विपक्ष के नेता के रूप में कार्य करते हुए, उन्हें 2020 में दलबदल विरोधी कानून का उल्लंघन करने के आरोप में विधान सभा के सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया, जो भारत में राज्य विधानसभाओं में इस तरह का पहला मामला बन गया. वह 2021 में उपचुनाव में सेरछिप से फिर से चुने गए.
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