आइजोल: मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरमथंगा ने आज कहा कि अगर नागरिकता संशोधन विधेयक को रद्द नहीं किया गया तो सत्ताधारी मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) एनडीए के साथ गठबंधन तोड़ने में कोई हिचकिचाहट नहीं दिखाएगी. एबॉक गांव में अपनी पार्टी मिजो नेशनल फ्रंट के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए ज़ोरमथंगा ने कहा कि पार्टी और उनकी सरकार विधेयक को रद्द करने के लिये हरसंभव प्रयास कर रही है. 40 सदस्यों वाली मिजोरम विधानसभा में एमएनएफ के 26 विधायक हैं और बीजेपी एक विधायक के साथ सरकार में शामिल है.


जोरमथंगा ने कहा, "अगर यही हालात रहे तो उनकी पार्टी राजग से नाता तोड़ लेगी." आठ जनवरी को लोकसभा से पारित हो चुके नागरिकता (संशोधन) विधेयक में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से भागकर भारत में शरण लेने वाले गैर-मुस्लिम लोगों को भारत की नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है.


आपको बता दें कि पूर्वोत्तर में जड़ें जमाने की कोशिश में जुटी बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए में पिछले कुछ दिनों से खलबली मची है. इसकी बड़ी वजह नागरिकता संशोधन विधेयक है.


इसी महीने असम गण परिषद (एजीपी) ने नागरिकता संशोधन विधेयक के मुद्दे पर असम की बीजेपी नीत सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था. एजीपी के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री प्रफुल्ल कुमार महंत ने तब कहा था कि नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2016 लोकसभा में पारित होता है तो इसका विरोध करेंगे. 126 सदस्यों वाली असम विधानसभा में एजीपी के 14 विधायक हैं.


बीजेपी को पूर्वोत्तर में झटका, अरुणाचल के पूर्व CM गेगांग अपांग ने पार्टी से दिया इस्तीफा


एजीपी के बाद एनपीपी दूसरी पार्टी है जिसने बीजेपी को झटका दिया है. मेघायल के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा की पार्टी एनपीपी ने अरुणाचल प्रदेश में अकेले लड़ने का एलान किया है. अरुणाचल प्रदेश में लोकसभा चुनाव के साथ विधानसभा चुनाव होंगे. सूबे में फिलहाल बीजेपी की सरकार है और एनपीपी सरकार में शामिल है. एनपीपी के अरुणाचल में पांच, मणिपुर में चार, नागालैंड में दो और मेघालय में 20 विधायक हैं.