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15 अक्टूबर को तमिलनाडु में विरोध प्रदर्शन करेगी DMK, राजभाषा पर संसदीय समिति की रिपोर्ट से जुड़ा है मामला
डीएमके ने हिंदी भाषा पर संसदीय समिति की रिपोर्ट के खिलाफ तमिलनाडु में प्रदर्शन करने का फैसला लिया है. द्रमुक ने 15 अक्टूबर को पूरे तमिलनाडु में विरोध प्रदर्शन की योजना बनाई है.
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DMK Protest In Tamilnadu: सत्तारूढ़ द्रमुक की युवा और छात्र शाखा ने केंद्रीय शैक्षणिक संस्थानों में हिंदी को शिक्षा का माध्यम बनाने की संसदीय समिति की सिफारिश के खिलाफ तमिलनाडु में राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन की घोषणा की है. द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) यूथ विंग के सचिव उदयनिधि स्टालिन और छात्र विंग सचिव CVMP एझिलारासन ने संयुक्त रूप से बुधवार को एक बयान जारी किया, जिसमें उन्होंने केंद्र सरकार की "हिंदी थोपने की नीतियों" के खिलाफ विरोध की घोषणा की. द्रमुक ने 15 अक्टूबर को पूरे तमिलनाडु में विरोध प्रदर्शन की योजना बनाई है.
'यह भारत की आत्मा पर पर सीधा हमला है'
इससे पहले, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा था संसदीय समिति की इस रिपोर्ट की निंदा की थी. 10 अक्टूबर को, स्टालिन ने ट्वीट किया था, "हिंदी को थोपने और भारत की विविधता को नकारने के लिए केंद्र की बीजेपी सरकार तेजी से प्रयास कर रही है. संसदीय राजभाषा समिति की रिपोर्ट के 11वें खंड में किए गए प्रस्ताव भारत की आत्मा पर सीधा हमला है."
उन्होंने अपने ट्वीट में आगे कहा, "अगर यह लागू किया जाता है तो विशाल गैर-हिंदी भाषी आबादी को अपनी ही भूमि में द्वितीय श्रेणी का नागरिक बना दिया जाएगा. हिंदी को थोपना भारत की अखंडता के खिलाफ है. बीजेपी सरकार अतीत में हिंदी विरोधी आंदोलनों से सबक सीखे."
केरल के सीएम ने पीएम को लिखा था पत्र
इस बीच केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन (Pinarayi Vijayan) ने 12 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) को पत्र लिखकर कहा कि हिंदी भाषा को थोपने के प्रयास "अस्वीकार्य" है. मुख्यमंत्री विजयन ने केंद्रीय सेवाओं के लिए आयोजित परीक्षाओं का माध्यम हिंदी में बनाने और हिंदी को शैक्षिक अध्ययन की अनिवार्य भाषा बनाने के लिए संसद की राजभाषा समिति की सिफारिशों पर रिपोर्ट के मद्देनजर केरल के रुख से अवगत कराने के लिए प्रधानमंत्री को पत्र लिखा.
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