गुवाहाटी: असम सरकार की नई भूमि नीति और एनआरसी के खिलाफ रहे कांग्रेस के विधायक शेरमन अली और दो अन्य विधायक विधानसभा फ्लोर पर लेट गए. तीनों विधायक दोनों मुद्दों पर चर्चा की मांग कर रहे थे. जिसे विधानसभा स्पीकर हितेश गोस्वामी ने अस्वीकार कर दिया. बाद में हंगामा होता देख स्पीकर ने तीनों विधायकों को मार्शलों के जरिए बाहर निकाल दिया. पीटीआई की खबर के मुताबिक, कांग्रेस विधायक शेरमन अली को बुधवार को विधानसभा से निलंबित कर दिया गया.


शून्यकाल के दौरान अली ने भूमि नीति 2019 को ‘असंवैधानिक’ बताया और इस पर चर्चा कराए जाने की मांग की. विधानसभा अध्यक्ष ने जब चर्चा कराने की अनुमति देने से इनकार कर दिया तो कांग्रेस विधायक अपनी मांग पर जोर देते हुए सदन के बीचो-बीच चले गए.


गोस्वामी ने अली को अपनी सीट पर लौट जाने को कहा लेकिन कांग्रेस विधायक अध्यक्ष से बहस करते रहे. इस कारण से सदन में हंगामा शुरू हो गया और विपक्ष तथा बीजेपी विधायकों ने आरोप-प्रत्यारोप लगाने शुरू कर दिए. इसके बाद अध्यक्ष ने अली को दिन भर के लिए सदन से निलंबित कर दिया लेकिन जब उन्होंने जाने से मना किया तो गोस्वामी ने मार्शलों से कांग्रेस विधायक को निकालने को कहा.


नई भूमि नीति के तहत भूमिहीन मूलवासियों को एक एकड़ कृषि भूमि और मकान बनाने के लिए 0.16 एकड़ जमीन दी जाएगी, जो 15 साल तक नहीं बेची जा सकेगी. असम सरकार ने आखिरी बार भूमि नीति को 30 साल पहले 1989 में लागू किया था. उससे पहले 1958, 1968 और 1972 में नीति लायी गयी थी.


झारखंड चुनाव: शाह ने NRC के लिए 2024 की समयसीमा तय की, कहा- घुसपैठियों को देश से निकालेंगे


राज्य सरकार ने कहा है कि भूमि नीति 2019 मूल लोगों के हितों की रक्षा करेगी और भूमि आवंटन तथा बसाहट के संबंध में जटिलताओं को दूर करेगी. इस पर आपत्ति प्रकट करते हुए अली ने सदन के बाहर पीटीआई-भाषा से कहा कि भूमि नीति असंवैधानिक है क्योंकि नीति में मूलवासियों की परिभाषा स्पष्ट नहीं है. इसके अलावा, भारतीय संविधान सभी नागरिकों को समान अधिकार प्रदान करता है. मूल लोगों या भारतीय होने के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता.


मार्शलों के जरिए सदन से बाहर किए जाने पर अली ने कहा, ‘‘जन प्रतिनिधि को सदन में महत्वपूर्ण मामलों पर चर्चा करने की अनुमति नहीं देकर विधानससभा अध्यक्ष ने लोकतांत्रिक मूल्यों की गरिमा घटायी.’’ सदन में हंगामा करने के बाद कांग्रेस के एक अन्य विधायक रूपज्योति कुर्मी को 29 नवंबर को सदन से निलंबित किया गया था और मार्शलों के जरिए बाहर निकाल दिया गया था.