नई दिल्ली: महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और आक्रामक नेता नारायण राणे का मंत्री बनने का सपना टूटता टूट सकता है. हाल ही में कांग्रेस से बगावत कर राणे मंत्रिपद के लिए एनडीए में शामिल हुए लेकिन राणे के इस्तीफे के बाद खाली हुई विधान परिषद की सीट पर बीजेपी खुद का उम्मीदवार उतारने की तैयारी में जुटी है. इसलिए राणे का मंत्री बनने का सपना बस सपना ही रहने की आशंका जताई जा रही है.


राणे के विधान परिषद की सदस्यता छोड़ने के बाद 7 दिसंबर को उपचुनाव होना है. इस सीट पर राणे को उम्मीदवारी देने को लेकर बीजेपी में अंदरूनी मतभेद है. शिव सेना का भी राणे को कड़ा विरोध है. अब बीजेपी खुद अपना उम्मीदवार उतारकर शिवसेना का समर्थन मांगने की सोच रही है. इसीलिए आज बीजेपी के मंत्री चन्द्रकान्त पाटिल उद्धव ठाकरे से मिलने मातोश्री पर पहुंचे.


एक समय शिवसेना के सबसे कद्दावर और कांग्रेस में बगावती नेता की छवि के बाद आज राणे ने खुद की स्वाभिमानी पार्टी की स्थापना की है. मंत्रिपद के लिए मुख्यमंत्री फडणवीस के कहने पर राणे एनडीए में शामिल हुए लेकिन शिवसेना ने राणे को मंत्रिमंडल में लेने पर सत्ता से बाहर निकलने की धमकी दे दी. अब अकेले राणे के लिए सत्ता दाव पर लगाने को बीजेपी तैयार नही है.


उपचुनाव के लिए क्या हो सकते है राजनैतिक समीकरण?
उपचुनाव जितने के लिए 145 वोट जरुरी है. बीजेपी 122 + मित्र दल मिलाकर 135 से 138 मत बीजेपी को मिल सकते है. राणे को उम्मीदवारी देने पर 8 से 10 वोटों के लिए सीट बीजेपी के हाथ से निकल सकते है. कांग्रेस 42 + एनसीपी 41 + शिवसेना 62 मिलाकर 145 वोट होते हैं.


इसीलिए, बीजेपी राणे को मैदान में उतारकर कोई रिस्क नही लेना चाहती और सेना के साथ मिलकर खुद का उम्मीदवार उतार रही है. शिवसेना के 62 और बीजेपी के अन्य मित्रदल 138 मिलाकर 200 वोट होते हैं. ऐसे में राणे का मंत्री बनना मुश्किल है क्योंकि अगले विधान परिषद चुनाव अगले साल जून में हैं और बिना विधायक बने उन्हें मंत्रिपद नही मिल सकता.