मुंबईः एमएनएस महासचिव संदीप देशपांडे ने आरोप लगाया है कि कोरोना वायरस के बढ़ते समय के दौरान कोरोना संक्रमित रोगियों को उचित उपचार प्रदान करने के लिए बीएमसी द्वारा करोड़ों रुपये का गबन किया गया. संदीप देशपांडे ने पेंग्विन गिरोह पर इसके लिए जिम्मेदार होने का भी आरोप लगाया है. आज एमएनएस की ओर से बीएमसी में भ्रष्टाचार कैसे किया जा रहा है, इसके अलावा, मराठी कॉन्ट्रैक्टर को कैसे धमकाया जा रहा है इसका खुलासा करने के लिए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी आयोजित की गई थी.
वर्तमान में, एक कोरोना संक्रमित रोगी की मृत्यु के बाद, उसका शरीर एक बड़े बॉडी बैग में रखा जाता है. एमएनएस ने इसी बॉडी बैग की खरीदने में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है. बॉडी बैग के लिए बीएमसी द्वारा इश्तहार दिए गए थे.
औरंगाबाद में वेदांत कंपनी के मालिक सतीश कल्याणकर ने इसके लिए बीएमसी से संपर्क किया था. उसके बाद बीएमसी द्वारा उनसे संपर्क किया गया और उन्हें बताया गया कि बीएमसी 5500 हजार रुपये पर बैग लेने के लिए तैयार है. लेकिन कुछ राजनेताओें ने इस कॉन्ट्रैक्ट के लिए कल्याणकार से कमिश्न मांगना शुरू किया. कमीशन नहीं देने पर इन लोगों ने मीडिया में आरोप लगाना शुरू कर दिया कि ये बैग महंगे है और इन बैग के टेंडर में भ्रष्टाचार हुआ है और इन आरोपों के चलते बीएमसी ने ये कॉन्ट्रैक्ट रद्द कर दिया गया और ये कॉन्ट्रैक्ट एक ऐसी कंपनी को दिया जिसने हल्के दर्जे के बैग बीएमसी को दिए.
बॉडी बैग के बारे में बीएमसी का स्पष्टीकरण ने दिया है कि बीएमसी के अस्पतालों में उपयोग किए जाने वाले 'बॉडी बैग्स' को केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित मानदंडों के अनुसार लिया गया है.
वहीं प्रेस कॉनफ्रेंस में बोलते हुए, संदीप देशपांडे ने कहा, “वर्तमान में, कोरोना रोगियों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है. ऐसे मामलों में, मुंबई महानगरपालिका की जिम्मेदारी है कि वह कोरोना संक्रमित रोगियों से संक्रमण को रोके और संक्रमित रोगियों को उचित और अच्छा इलाज प्रदान करे. लेकिन मौजूदा मुश्किल समय में भी बीएमसी द्वारा करोड़ों रुपये का गबन किया जा रहा है और इसके पीछे पेंग्विन गिरोह है. ’
एमएनएस का आरोप है कि मुंबई में थोड़े समय के लिए बड़ी संख्या में कोविड केंद्र स्थापित किए गए हैं. इसमें दी जाने वाली सुविधाओं पर लाखों रुपये का शुल्क लगाया गया है. कोविड केंद्र में जो पंखे लगाए गए हैं. इनमें से एक पंखे का प्रति दिन का किराया 100 रुपये हैं. बीएमसी ने कॉन्ट्रैक्टर को 90 दिनों के पैसे पहले ही दे दिए है यानी एक पंखे का तीन महीने का किराया हुआ 9000 रुपये जबकि बाज़ार में एक पंखा 2000-3000 में मिलता है.
संदीप देशपांडे ने कहा, "चौंकाने वाली बात यह है कि इस काम को करते समय टेंडर नहीं बुलाए गए और सभी काम इन राजनेताओें ने अपने अपने करीबी लोगों को दिए.” वहीं शिवसेना इस विषय में प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया लेकिन इन आरोपों को पॉलिटिकल स्टंट करार दिया.
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