जयपुर: मॉब लिंचिंग की घटनाओं के खिलाफ राजस्थान सरकार ने कड़ा कानून बनाया है. मॉब लिंचिग करने वालों और भीड़ में शामिल होकर सहयोग करने वालों को अब कड़ी सजा मिलेगी. इस कानून की ख़ास बात ये है कि अगर दो व्यक्ति की मिलकर किसी को पीटते हैं तो उन पर भी मॉब लिंचिंग कानून लागू होगा. मंगलवार को राजस्थान की विधानसभा में मॉब लिंचिंग संरक्षण विधेयक पारित हो गया. इसी के साथ अब ये कानून बन गया है, मॉब लिंचिंग में मौत होने पर अब दोषियों को आजीवन कठोर कारावास और एक से पांच लाख तक का जुर्माने का दंड होगा.
मॉब लिंचिंग में मौत होने पर आजीवन कारावास तक की सजा
राजस्थान सरकार के इस विधेयक में प्रावधान किया गया है कि मॉब लिंचिंग में मौत होने पर अब दोषियों को आजीवन कठोर कारावास और एक से पांच लाख तक का जुर्माने का दंड होगा. लिंचिंग में पीड़ित को घायल करने वालों को सात साल तक की सजा, एक लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान कानून में किया है. वहीं गंभीर रूप से घायल करने पर 10 साल तक की कैद और 50 हजार से 3 लाख तक का जुर्माना होगा.
सहायता करने वालों के लिए भी कठोर प्रवधान
इस विधेयक में सरकार ने लिंचिंग में सहयोग करने वालों के लिए भी कठोर प्रावधान किए हैं. लिचिंग में किसी भी रूप से सहायता करने वाले को भी वही सजा मिलेगी जो लिंचिंग करने पर है. इस तरह के मामलों की जांच इंस्पेक्टर स्तर या उससे उपर का पुलिस अफसर ही करेगा, इससे नीचे के स्तर का अफसर जांच नहीं कर सकेगा. लिंचिंग रोकने के लिए आईजी रैंक के अफसर को राज्य समन्वयक बनाया जाएगा, हर एसपी लिंचिंग रोकने के लिए जिला समन्वयक होगा.
वीडियो बनाने पर भी हो सकती है सजा
मॉब लिंचिंग के दोषियों को गिरफ्तारी से बचाने या अन्य सहायता करने पर भी 5 साल तक की सजा का प्रावधान किए है. लिंचिंग के मामलों में गवाहों को धमकाने वालों को 5 साल तक जेल और एक लाख तक के जुर्माने का प्रावधान किया है. इस तरह की घटना के वीडियो, फोटो किसी भी रूप से प्रकाशित-प्रसारित करने पर भी एक से तीन साल की सजा और 50 हजार के जुर्माने का प्रावधान किया है, इस प्रावधान की वजह से इस तरह की घटनाओं की रिपोर्टिंग में भी बाधाएं आएंगी, हालांकि नियम बनने के बाद ही यह साफ हो पाएगा कि इस प्रावधान के दायरे में घटना की रिपोर्टिंग करने वालों को लिया जाता है या नहीं.
मॉब लिंचिंग को गैरजमानती, संज्ञेय अपराध बनाया गया है. मॉब लिंचिंग के गवाहों को दो से ज्यादा तारीखों पर अदालत जाने की बाध्यता से छूट मिलेगी, गवाहों की पहचान गुप्त रखी जाएगी. मॉब लिंचिंग से पीड़ित व्यक्ति का विस्थापन होने पर सरकार उसका पुनर्वास करेगी 50 से ज्यादा व्यक्तियों के विस्थापित होने पर राहत शिविर लगाने का प्रावधान भी होगा. बीजेपी इस कानून को काला कानून बताकर उसका विरोध कर रही है.
लिचिंग से संरक्षण विधेयक के मुख्य प्रावधान
— लिंचिंग रोकने के लिए आईजी रैंक के अफसर को राज्य समन्वयक बनाया जाएगा, हर एसपी लिचिंग रोकने के लिए जिला समन्वयक होगा.
— जिला मजिस्ट्रेट लिंचिंग की आशंका पर किसी आयोजन या कृत्य को आदेश जारी करके रोक सकेंगे.
— मॉब लिचिंग के लिए उकसाने वाले वीडियो या मैसेज वायरल करने वालों के खिलाफ मामले दर्ज होंगे.
— लिंचिंग में पीड़ित को घायल करने वालों को सात साल तक की सजा और एक लाख रुपए तक का जुर्माना.
_ पीड़ित को गंभीर रूप से घायल करने पर 10 साल तक की कैद और 50 हजार से 3 लाख तक का जुर्माना.
— लिंचिंग से पीड़ित की मौत होने पर दोषियों को आजीवन कठोर कारावास और एक से पांच लाख तक का जुर्माना.
— लिंचिंग में किसी भी रूप से सहायता करने वाले को भी वहीं सजा मिलेगी जो खुद लिचिंग करने पर है.
— लिंचिंग के दोषियों की गिरफ्तारी से बचाने या अन्य सहायता करने पर 5 साल तक की सजा.
— लिंचिंग के मामलों में गवाहों को धमकाने वालों को 5 साल तक जेल और एक लाख तक के जुर्माना.
— मॉब लिंचिंग की घटना के वीडियो, फोटो किसी भी रूप से प्रकाशित प्रसारित करने पर भी एक से तीन साल की सजा, 50 हजार का जुर्माना.
— मॉब लिंचिंग को गैरजमानती, संज्ञेय अपराध बनाया गया.
— इंस्पेक्टर से नीचे की रैंक का कोई पुलिस अफसर मॉब लिचिंग के मामलों की जांच नहीं करेगा, इंसपेक्टर स्तर का पुलिस अफसर ही करेगा जांच.
— मॉब लिंचिंग के गवाहों को दो से ज्यादा तारीखों पर अदालत जाने की बाध्यता से छूट मिलेगी, गवाहों की पहचान गुप्त रखाी जाएगी.
— मॉब लिंचिंग से पीड़ित व्यक्ति का विस्थापन होने पर सरकार उसका पुनर्वास करेगी, 50 से ज्यादा व्यक्तियों के विस्थापित होने पर राहत शिविर.
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