जमशेदपुर: झारखंड में मुस्लिम युवक तबरेज अंसारी को पीट पीटकर मारे जाने की घटना के तीन दिन बीत चुके हैं. गांव में अब भी पुलिस का पहरा है. उसकी पत्नी शाइस्ता परवीन से मिलने वाले उन्हें ढांढस बंधा रहे हैं, इंसाफ की दिलासा दे रहे है और साथ खड़े रहने की बात कह रहे हैं. लेकिन मात्र दो महीने पहले ही तबरेज से शादी रचाने वाली शाइस्ता को पति को खोने का दर्द कम नहीं हो रहा है.
तबरेज ने 23 जून को अस्पताल में दम तोड़ा. उन्हें बाइक चुराने के शक में भीड़ ने सरायकेला के धतकिडीह गांव में बुरी तरह पीटा था और पुलिस के हवाले कर दिया था. जिसके बाद उसकी तबीयत और बिगड़ गई और उसकी मौत हो गई.
भीड़ ने उनके साथ 17 जून को पिटाई की थी. इस पूरी घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठने लगे. विपक्षी दलों ने सवाल किया कि आखिर कैसे पुलिस ने मारपीट करने वाले शख्स को पकड़ने की बजाय तबरेज को गिरफ्तार किया.
तबरेज की पत्नी शाइस्ता ने बताया, ''मेरे पति जब जमशेदपुर से आ रहे थे तभी मेरे पति को मुस्लिम होने की वजह से मारा गया. मेरा कोई नहीं है. मेरे सास, ससुर या देवर नहीं हैं. हम किसके सहारे जीएंगे, मुझे इंसाफ चाहिए.'' तबरेज के पिता मशकूर आलम की मौत 12 साल पहले हो चुकी है. मां समसुन निशा की मौत भी 18 साल पहले हो चुकी है. एक बहन है, जिसकी शादी हो गई है.
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शाइस्ता ने कहा, ''तबरेज 8 बजे जमेशदपुर गए थे और 10 बजे उन्होंने फोन किया कि हम लौट रहे हैं. फिर सुबह पांच बजे फोन आया कि हमें गांव वाला बहुत मारा-पीटा है, चोरी का इल्जाम लगाया गया.''
तबरेज के चाचा ने बताया कि वह पुणे में रहता था और इसी साल 27 अप्रैल को शादी हुई थी. दोनों पुणे जाने वाले थे और इसके लिए टिकट भी बन गया था. लेकिन उसकी हत्या कर दी गई.
पुलिस ने मारपीट के मामले में 11 आरोपियों को गिरफ्तार किया है और दो पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया है. पुलिस सूत्रों के मुताबिक, अंसारी ने पहले अपना नाम 'सोनू' बताकर खुद को बचाने की कोशिश की. लेकिन, उन्हें असली नाम बताने के लिए बाध्य किया गया और फिर भीड़ ने उनसे 'जय श्री राम' बोलने के लिए कहा.