कोरोना के खिलाफ जंग में सबसे मजबूत हथियार वैक्सीनेशन अभियान में तेजी लाते हुए लगातार इसे ज्यादा से ज्यादा संख्या में सरकार की तरफ से वैक्सीनेट करने का प्रयास किया जा रहा है. इसी कड़ी में अमेरिकी कंपनी मॉडर्ना की तरफ से तैयार वैक्सीन इस हफ्ते भारत पहुंच सकती है. समाचार एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी है.


ऐसे समय में जब लगातार दुनिया में कोरोना का नया डेल्टा वेरिएंट फैल रहा है, ऐसे में यह जानना जरूरी है कि मॉडर्ना वैक्सीन इस वैरिएंट के खिलाफ कितना असरदार है. मॉडर्ना वैक्सीन क्लिनिकल ट्रायल के दौरान अमेरिका में तीसरे चरण में 94 फीसदी असरदार पाई गई. लेकिन इसे काफी कम तापमान में रखने की जरूरत पड़ती है.    


सेंटर्स फॉर डिजिज कंट्रोल (सीडीसी) की नई स्टडी में यह पता चला है कि फाइजर और मॉडर्ना की सिंगल डोज वैक्सीन संक्रमण की रोकथाम में 80 फीसदी असरदार है. यह आंकड़ा दूसरी डोज के दो हफ्ते बाद बढ़कर 90 फीसदी हो जाता है. हेल्थकेयर वर्कर को वैक्सीनेट करने बाद अध्ययन में यह बात सामने आई है. मॉडर्ना ने पिछले हफ्ते मंगलवार को यह घोषणा की थी कि नई स्टडी में यह पता चलता है कि इसके टीके डेल्टा वेरिएंट और वर्तमान में फैल रहे कोरोना के अन्य वेरिएंट को खिलाफ आशाजनक सुरक्षा प्रदान की है.   


औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने सिप्ला आपात उपयोग के लिए मॉडर्ना के कोविड-19 टीके के आयात की अनुमति दे दी है. कोविशील्ड, कोवैक्सीन और स्पूतनिक के बाद मॉडर्ना का टीका भारत में उपलब्ध होने वाला कोविड-19 का चौथा टीका होगा. एक सूत्र ने बताया, ‘‘डीसीजीआई ने ड्रग्स ऐंड कॉस्मेटिक्स एक्ट,1940 के तहत नयी औषधि एवं क्लिनिकल परीक्षण नियम, 2019 के प्रावधानों के मुताबिक सिप्ला को देश में सीमित आपात उपयोग के लिए मॉडर्ना के कोविड-19 टीके का आयात करने की अनुमति दे दी है.’’


मॉडर्ना ने एक पत्र में 27 जून को डीसीजीआई को सूचना दी कि अमेरिकी सरकार यहां उपयोग के लिए कोविड-19 के अपने टीके की एक विशेष संख्या में खुराक ‘कोवैक्स’ के जरिए भारत सरकार को दान में देने के लिए सहमत हो गई है. साथ ही, उसने इसके लिए केन्द्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) से मंजूरी मांगी है.


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