Coronavirus: मॉडर्ना वैक्सीन ने 16 बंदरों को वायरस से बचाया, अब 30 हजार इंसानों को इंतजार
मॉडर्ना इंक की कोरोना वैक्सीन से लोगों को काफी उम्मीद है. बंदरों पर इस वैक्सीन का परीक्षण सफल रहा है. यह वैक्सीन बंदरों के नाक और फेफड़ों में कोरोना वायरस को अपनी कॉपी बनाने से रोकने में भी सफल रही है.
नई दिल्ली: दुनियाभर में जानलेवा कोरोना वायरस का प्रसार तेज़ी से फैल रहा है. अकेले भारत में इस महामारी से अब तक 15 लाख से ज्यादा लोग संक्रमितों हो चुके हैं. कोरोना के इन भयावह आंकड़ो के बीच हर किसी की नज़रें इस वायरस के वैक्सीन पर टिकी हुई हैं. इस बीच कोरोना वैक्सीन को लेकर एक सुकून देने वाली खबर सामने आई है. दरअसल, मॉडर्ना इंक की कोरोना वैक्सीन का हाल ही में 16 बंदरों पर टेस्ट किया गया. इस वैक्सीन से बंदरों में कोरोना वायरस का संक्रमण रोकने में कामयाबी मिली है. माना जा रहा है कि इंसानों पर भी यह वैक्सीन काफी कारगार रह सकती है.
30,000 इंसानों पर होगा ट्रायल 16 बंदरों पर सफल टेस्ट के बाद अब इस वैक्सीन का ट्रायल 30,000 इंसानों पर होगा. न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में मंगलवार को इस वैक्सीन के सफल टेस्ट की रिपोर्ट प्रकाशित हुई है. रिपोर्ट में बताया गया है कि वायरस की चपेट में आने के बाद भी इस वैक्सीन की मदद से 16 बंदरों में संक्रमण का कोई लक्षण नहीं मिला. बताया जा रहा है कि वैक्सीन ने इन 16 बंदरों में इम्यून रिस्पांस सिस्टम डेवलप किया है. कोरोना की यह वैक्सीन बंदरों के नाक और फेफड़ों में कोरोना वायरस को अपनी कॉपी बनाने से रोकने में भी सफल रही है.
संक्रमण को फैलने से रोकना बेहद महत्वपूर्ण आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इंसानों की नाक में कोरोना वायरस को अपनी कॉपी बनाने से रोकना बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे संक्रमण को फैलने से रोका जा सकता है. गौरतलब है कि जब ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की कोरोना वैक्सीन का बंदरों पर ट्रायल हुआ था, तब ऐसे नतीजे नहीं आए थे. इसे देखते हुए मॉडर्ना इंक की कोरोना वैक्सीन से लोगों की उम्मीदें और भी बढ़ गई हैं.
जेनेटिक मैटेरियल का इस्तेमाल कर रही है मॉडर्ना इंक बता दें कि मॉडर्ना इंक कोरोना वैक्सीन बनाने के लिए जेनेटिक मैटेरियल का इस्तेमाल कर रही है. दरअसल, कोरोना वैक्सीन उल्टा असर भी कर सकती है. बताया जा रहा है कि कोरोना वैक्सीन से लोगों को सांस का खतरा भी हो सकता है, लेकिन इस वैक्सीन के ट्रायल में वह सेल नहीं बनी है, जो दूसरी वैक्सीन के ट्रायल में बनी थी. इसलिए इस वैक्सीन से किसी को भी सांस का खतरा नहीं होगा.
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