मुंबई: महाराष्ट्र में सरकार गठन पर जारी सस्पेंस के बीच मोदी कैबिनेट ने महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश की है. कैबिनेट की बैठक के बाद प्रधानमंत्री ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए ब्राजील रवाना हो गए. इससे पहले राज्यपाल ने राष्ट्रपति शासन के लिए अपनी सिफारिश राष्ट्रपति को भेजी थी. सूत्रों के मुताबिक, राज्यपाल को एनसीपी ने दोपहर 12:30 बजे चिट्ठी लिखकर अपने पास बहुमत नहीं होने की जानकारी दी थी और 3 दिन का समय मांगा था.


इसके बाद राज्यपाल ने एनसीपी को दिए शाम 8:30 बजे तक के समय के खत्म होने की प्रतीक्षा किए बिना ही चिट्ठी के आधार पर राज्य में किसी भी दल के सरकार नहीं बना पाने की स्थिति की रिपोर्ट गृह मंत्रालय को भेज दी. गृह मंत्रालय ने इस रिपोर्ट को केंद्रीय कैबिनेट के पास भेजा और उसके बाद केंद्रीय कैबिनेट की इमरजेंसी बैठक बुलाई गई इस बैठक में महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने को मंजूरी दे दी गई. राजभवन ने ट्वीट कर राष्ट्रपति शासन की सिफारिश की जानकारी दी है.






सूत्रों के मुताबिक, शिवसेना ने राज्यपाल के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला किया है. शिवसेना का कहना है कि राज्यपाल से उन्होंने 3 दिन की मोहलत की मांग की थी जिसको राज्यपाल ने मना कर दिया. कांग्रेस ने भी इसी तरह की प्रतिक्रिया दी है.


कांग्रेस नेता और वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने ट्वीट कर कहा, ''महाराष्ट्र के राज्यपाल शिवसेना को महाराष्ट्र में सरकार गठन के लिए 48 घंटे का समय नहीं दे सकते हैं, लेकिन अन्य राज्यों में बीजेपी 5 सप्ताह का लाभ उठा सकती है. यह तब होता है जब संवैधानिक पदों का उपयोग राजनीति गतिविधि को आगे बढ़ाने के लिए किया जाता है.''


बता दें कि महाराष्ट्र में सभी 288 सीटों पर 21 अक्टूबर को वोट डाले गए थे. इस चुनाव में शिवसेना-बीजेपी और एनसीपी कांग्रेस गठबंधन कर चुनाव लड़ी. 24 अक्टूबर को नतीजों की घोषणा की गई. इस चुनाव में बीजेपी को 2014 के चुनाव के मुकाबले 17 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा. शिवसेना ने मौका देख बीजेपी को पुराने वादे की याद दिलाई.


चुनाव नतीजों के दिन ही उद्धव ठाकरे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि अब वक्त आ गया है कि बीजेपी अपना वादा पूरा करे. शिवसेना का कहना है कि लोकसभा चुनाव से पहले उद्धव ठाकरे, अमित शाह और देवेंद्र फडणवीस के बीच बैठक हुई थी. इस बैठक में अमित शाह ने उद्धव ठाकरे से दावा किया था कि विधानसभा चुनाव के बाद सरकार में 50-50 के फॉर्मूले पर काम होगा. 50-50 का मतलब है शिवसेना और बीजेपी का नेता ढाई-ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री बनेगा.


बीजेपी ने इस फॉर्मूले से इनकार किया और कहा कि मुख्यमंत्री तो देवेंद्र फडणवीस ही होंगे. शिवसेना अपनी मांग पर अड़ी रही. राज्यपाल ने बीजेपी, शिवसेना और एनसीपी तीनों को सरकार बनाने का न्योता दिया. तीनों पार्टियां सरकार बनाने में असफल रही. जिसके बाद राष्ट्रपति शासन की सिफारिश की गई है.


महाराष्ट्र में विधानसभा की 288 सीटें है और सरकार बनाने के लिए 145 सीटों की जरूरत होती है. चुनाव में बीजेपी ने 105, शिवसेना ने 56, एनसीपी ने 54 और कांग्रेस ने 44 सीटें जीती है.