नई दिल्लीः सरकार ने कृषि उत्पादों के लिए 'एक देश एक बाज़ार' की दिशा में आज बड़ा क़दम उठाया. आज हुई कैबिनेट की बैठक में तीन अध्यादेशों को मंज़ूरी दी गई. सरकार का दावा है कि अध्यादेशों के ज़रिए लाए गए इन क़ानूनों से किसानों को उनकी उपज का लाभकारी मूल्य मिल सकेगा.


देश में किसानों को उनकी उपज का बेहतर मूल्य मिले और वो देश में कहीं भी जाकर अपनी उपज बेच सकें इसके लिए मोदी कैबिनेट ने आज 2 अहम अध्यादेशों पर मुहर लगा दी. इसपर पिछले कई दिनों से चर्चा हो रही थी. पहला अध्यादेश कृषि उपज वाणिज्य एवं व्यापार (संवर्धन एवं सुविधा) अध्यादेश 2020 के नाम से लाया गया है.


इसमें 'वन नेशन वन मार्केट' की तर्ज़ पर किसानों को अपना उपज किसी भी राज्य में ले जाकर बेचने की आज़ादी होगी. सरकार के मुताबिक़ इससे कृषि उपज का बाधा मुक्‍त अंतर-राज्‍य व्‍यापार संभव हो सकेगा. इसका सबसे अहम प्रावधान ये है कि किसानों को अपना उत्पाद मंडी तक ले जाने की बाध्यता नहीं होगी और इससे एक देश एक बाज़ार की संकल्पना को बढ़ावा मिलेगा. कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने दावा किया कि इन बदलावों की मांग 70 सालों से थी और सही अर्थों में किसानों को आज़ादी आज मिली है.


दूसरे अहम् फैसले में मोदी कैबिनेट ने आवश्‍यक वस्‍तु अधिनियम 1956 में संशोधन का ऐलान किया. इसमें अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेलों, प्‍याज और आलू जैसी वस्‍तुओं को आवश्‍यक वस्‍तुओं की सूची से हटाने का फैसला किया गया है. सरकार का दावा है कि इस फैसले से उत्‍पादन, भंडारण, ढुलाई और वितरण करने की आजादी से व्‍यापक स्‍तर पर उत्‍पादन करना संभव होगा


सिर्फ अकाल, प्राकृतिक आपदा , युद्ध और कीमतों में अभूतपूर्व बढ़ोतरी जैसी हालात में ही इन कृषि उपजों की कीमतों को नियंत्रित किया जा सकता है. हालांकि इन प्रावधानों के चलते जमाखोरी और महंगाई बढ़ने की आशंका जताई जा रही है लेकिन सरकार ने इन्हें ख़ारिज़ कर दिया.


साथ ही, कैबिनेट ने ‘मूल्य आश्वासन पर किसान (बंदोबस्ती और सुरक्षा) समझौता और कृषि सेवा अध्यादेश, 2020’ को भी स्वीकृति दे दी है. कृषि मंत्रालय के मुताबिक अध्यादेश किसानों को शोषण के भय के बिना समानता के आधार पर सामानों की ख़रीद बिक्री की आज़ादी देगा. इसके अलावा एक अन्य फ़ैसले में सरकार ने कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट का नाम भारतीय जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नाम पर रखने का फ़ैसला किया गया. बंगाल चुनाव के मद्देनज़र इसे बड़ा सांकेतिक फ़ैसला माना जा रहा है हालांकि इसका ऐलान पीएम मोदी 12 जनवरी को कोलकाता में एक समारोह में कर चुके थे.


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