नई दिल्ली: पिछले कुछ सालों में शाहरूख खान और आमिर खान समेत बॉलीबुड से जुड़े कुछ अभिनेताओं ने सरोगेसी के ज़रिए अपना परिवार आगे बढ़ाया था. हाल ही में प्रसिद्ध अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी को भी सरोगेसी के ज़रिए ही अपने दूसरे बच्चे का सुख प्राप्त हुआ है.


मोदी सरकार ने सरोगेसी यानि किराए के कोख से बच्चे पैदा करने की शर्तों को आसान करने का फ़ैसला किया है. इसके लिए पिछले साल लोकसभा से पारित हुए बिल में बदलाव करने का फ़ैसला लिया गया है. लोकसभा से पारित होने के बाद बिल राज्यसभा में गया था जहां उसे सेलेक्ट कमिटी के पास भेज दिया गया था. सरकार ने सेलेक्ट कमिटी की ज़्यादातर सिफारिशों को मान लिया है जिसपर बुधवार को कैबिनेट ने मुहर भी लगा दी.


पांच साल की सीमा हटाई गई


नए बिल में पुराने प्रावधान को बरक़रार रखा गया है जिसमें विदेशी , यहां तक कि एनआरआई लोगों पर भी भारत में सरोगेसी का व्यावसायिक इस्तेमाल कर बच्चा पैदा करने पर पाबंदी थी. बिल के मुताबिक़ भारतीय विवाहित जोड़े ही सरोगेसी के ज़रिए बच्चा पैदा करवा सकते हैं लेकिन शर्त ये है कि उन्हें एक मेडिकल सर्टिफिकेट देना होगा कि वो किसी भी कारण से बच्चा पैदा करने में असमर्थ हैं. हालांकि पहले वाले बिल में एक प्रावधान ये था कि जिनके विवाह को 5 वर्ष ग़ुज़र चुके होते उन्हीं जोड़ों को सरोगेसी का इस्तेमाल कर बच्चे पैदा करने का अधिकार था. लेकिन नए बिल में इस प्रावधान को हटा दिया गया है. मतलब ये कि कोई भी शादी शुदा जोड़ा इस माध्यम से मां बाप बन सकेगा लेकिन मेडिकल सर्टिफिकेट वाला प्रावधान बरक़रार रखा गया है. वैसे अगर कोई महिला 50 साल और कोई पुरूष 55 साल की उम्र पार कर चुका है तो सरोगेसी का इस्तेमाल नहीं कर सकेगा.


नज़दीकी रिश्तेदारों वाली पाबन्दी हटाई गई


नए बिल में एक और बड़ा बदलाव किया गया है. पुराने बिल में केवल नज़दीकी रिश्तेदारों के ज़रिए ही सरोगेसी प्रक्रिया में इस्तेमाल का अधिकार दिया गया था. नए बिल में अब किसी भी महिला की रज़ामंदी से उसकी कोख़ का इस्तेमाल हो सकेगा. वैसे दम्पति जिनके पास पहले से बच्चा हो वो सेरोगेसी प्रक्रिया का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे , भले ही पहला बच्चा गोद लिया गया हो.


महिलाओं पर सरोगेसी के ज़रिए बच्चे पैदा करने की सीमा तय की गई है यानि एक महिला अपनी कोख केवल एक बार ही दूसरे को उधार दे सकती है वो भी तब जब पहले से ही उसने एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया हुआ हो. सरोगेसी के ज़रिए पैदा हुए बच्चे को विकलांग या किसी रोग से ग्रसित होने या किसी भी वजह से इंकार करने पर उस बच्चे के होने वाले माता पिता पर क़ानूनी कार्रवाई की जा सकती है जिसमें कम से कम 10 साल की जेल और 10 लाख ज़ुर्माने का प्रावधान है.


फिलहाल देश में सरोगेसी का व्यापार तक़रीबन 9000 करोड़ रूपयों का माना जाता है. प्रस्तावित बिल में इसकी निगरानी के लिए एक नेशनल सरोगेसी बोर्ड बनेगा जिसके अध्यक्ष केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री होंगे. देश भर में फैले लगभग 2000 ऐसे क्लिनिक का पंजीकरण अनिवार्य होगा और उन्हें बच्चा पैदा होने के 25 सालों तक उनका रिकॉर्ड रखना होगा. बिल को पहली बार 2007 में तबकी यूपीए सरकार ने दूसरे नाम से प्रस्तावित किया था लेकिन लंबी बहस और विवादों के बाद इसे पिछले साल लोकसभा में पारित किया गया.