नई दिल्लीः भारत में ई-सिगरेट पर पूरी तरह पाबन्दी लगाने का फ़ैसला किया गया है. मोदी सरकार एक अध्यादेश के ज़रिए कानून बनाकर ई सिगरेट के उत्पादन , वितरण और भंडारण पर रोक लगाएगी . आज केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में इस बारे में फ़ैसला लिया गया. अध्यादेश के बदले संसद के शीतकालीन सत्र में बिल लाया जाएगा.


कैबिनेट की बैठक के बाद जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इस फैसले की जानकारी देने के लिए अपने साथ ई सिगरेट का एक सेट लेकर प्रेस कांफ्रेंस में पहुंची. सीतारमण ने इसे मोदी सरकार का बड़ा फ़ैसला करार देते हुए दावा किया कि ई सिगरेट स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक है और अमेरिका में हुए अध्ययन में इस बात की पुष्टि भी हुई है. सीतारमण की अगुवाई में इस विषय पर कानून बनाने के लिए एक जीओएम बनाई गई थी जिसने पाबन्दी लगाने की वक़ालत की थी.


वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जानकारी दी कि ई सिगरेट का उत्पादन , भंडारण , वितरण , आयात या इस्तेमाल करने वाले को पहले गुनाह पर 1 साल की सज़ा और 1 लाख रुपए तक के ज़ुर्माने का प्रावधान किया है. जबकि दूसरी बार या उसके बाद के गुनाह पर 3 साल की क़ैद और / या 5 लाख तक ज़ुर्माने का प्रावधान किया गया है


हालांकि सरकार ने इस बात का खुलासा नहीं किया कि आखिर भारत में ई सिगरेट पर पाबंदी के पीछे ठोस आधार क्या है ? सरकार के पास इस बात का भी जवाब नही था कि परम्परागत सिगरेट और ई सिगरेट में ज़्यादा खतरनाक कौन है? दरअसल समय समय पर परम्परागत सिगरेट और बीड़ी बनाने वाली कम्पनियां और संगठन सरकार से ई-सिगरेट को बैन करने की मांग करते रहे हैं और इसलिए इन सवालों के जवाब सरकार से मांगे गए.


सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि अध्यादेश को बिल के ज़रिए कानून बनाने के लिए सरकार नवम्बर में शुरू होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र में बिल लेकर आएगी.