नई दिल्ली: संसद का शीतकालीन सत्र अपने समापन की ओर बढ़ रहा है और अब सरकार का पूरा फोकस नागरिकता संशोधन बिल को पारित करवाने पर है. सूत्रों के मुताबिक सरकार बिल को 5 या 9 दिसंबर को लोकसभा में पेश कर सकती है. नागरिकता संशोधन बिल को आज कैबिनेट से मंज़ूरी मिलने की संभावना है.


आज कैबिनेट से मिल सकती है मंजूरी
कैबिनेट की मंजूरी के बाद इसे लोकसभा में पेश किया जाएगा. बिल में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए अवैध अप्रवासियों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है बशर्ते कि वो मुसलमान नहीं हों. बिल का फायदा इन देशों से भारत आए हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई और पारसी समुदाय के लोगों को मिलेगा.


प्राकृतिक प्रक्रिया के तहत मिलेगी नागरिकता
बिल का मकसद इन छह धर्मों के लोगों को नागरिकता देना है जिनके पास या तो कोई वैध काग़जात नहीं है या जिनके कागजात की वैधता खत्म हो चुकी है. इन लोगों को नागरिकता कानून के प्राकृतिक प्रक्रिया ( Naturalization ) के तहत नागरिकता दी जाएगी. नागरिकता पाने के लिए आवेदक तभी पात्र होगा अगर वो कम से कम छह साल भारत में रहा हो और पिछले 1 साल से भारत में रह रहा हो.


पिछली बार राज्यसभा में अटक गया था बिल
नागरिकता संशोधन बिल 19 जुलाई 2016 में लोकसभा में पेश किया गया था. बिल को संसद की संयुक्त समिति के पास भेजा गया और इसकी रिपोर्ट आने के बाद बिल को इसी साल 8 जनवरी को लोकसभा ने पारित कर दिया. हालांकि बिल राज्यसभा में नहीं जा सका और लोकसभा का कार्यकाल खत्म होने से बिल भी खत्म हो गया. हालांकि राज्यसभा में बिल को पारित करवाने में सरकार के सामने दिक्कतें भी कम नहीं हैं. सरकार की सहयोगी जेडीयू पहले से ही इस बिल के खिलाफ रही है. कहीं इस बिल के पक्ष में रही शिवसेना अब बीजेपी के साथ नहीं है. कांग्रेस और टीएमसी समेत ज्यादातर विपक्ष तो पहले से ही बिल के खिलाफ है.


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पूर्वोतर राज्यों में हो रहा है विरोध
सरकार की मुश्किल केवल विपक्ष को लेकर नहीं है. पूर्वोत्तर राज्यों के एनडीए के ही ज्यादातर सांसद भी इस बिल के पक्ष में नहीं दिखाई दे रहे हैं. कुछ दिनों पहले ही इन सांसदों ने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी और फिलहाल बिल को टालने का अनुरोध किया था. सूत्रों के मुताबिक पिछले 2 दिनों से अमित शाह लगातार पूर्वोत्तर राज्यों खासकर असम के अलग-अलग संगठनों से इस बिल को लेकर बैठक कर रहे हैं.


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