प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली सुरक्षा की कैबिनेट कमेटी (सीसीएस) ने 15 स्वदेशी लाइट अटैक हेलीकॉप्टर (एलसीएच) खरीदने की मंजूरी दे दी है. 3387 करोड़ में ये हेलीकॉप्टर एचएएल से खरीदे जाएंगे. इनमें से 10 हेलीकॉप्टर वायुसेना के लिए और पांच भारतीय सेना के लिए होंगे.
पिछले साल यानी 19 नवंबर 2021 को रानी लक्ष्मी बाई के जन्म दिवस के मौके पर खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वायुसेना को लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर का मॉडल सौंपा था. आजादी के अमृत महोत्सव के तहत रक्षा मंत्रालय ने 17-19 नवंबर तक झांसी में राष्ट्रीय रक्षा समर्पण पर्व मनाया था. उसी के तहत देश के सशस्त्र सेनाओं के कई प्रगतिशील कार्यक्रम झांसी में आयोजित किए गए थे.
एलसीएच स्वदेशी अटैक हेलीकॉप्टर को करगिल युद्ध के बाद से ही भारत ने तैयार करने का मन बना लिया था, क्योंकि उस वक्त भारत के पास ऐसा अटैक हेलीकॉप्टर नहीं था, जो 15-16 हजार फीट की उंचाई पर जाकर दुश्मन के बंकर्स को तबाह कर सके, लेकिन उस प्रोजेक्ट को वर्ष 2006 में मंजूरी मिली. पिछले 15 साल की मेहनत के बाद जाकर ये लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर (एलसीएच) तैयार हुआ है.
बता दें कि भारत ने भले ही हाल में अमेरिका से बेहद ही एडवांस अटैक हेलीकॉप्टर अपाचे खरीदे हैं, लेकिन करगिल और सियाचिन की चोटियों पर अपाचे भी टेक ऑफ और लैंडिंग नहीं कर सकता है, लेकिन बेहद लाइट यानी हल्का होने और खास रोटर्स होने के चलते एलसीएच इतनी उंची चोटियों पर भी अपने मिशंस को अंजाम दे सकता है.
एलसीएच की खूबियां-
- लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर यानी एलसीएच हेलीकॉप्टर का वजन करीब 6 टन है, जिसके चलते ये बेहद हल्का है. जबकि अपाचे का वजन करीब 10 टन है. वजन कम होने के चलते ये हाई ऑल्टिट्यूड एरिया में भी अपनी मिसाइल और दूसरे हथियारों से लैस होकर टेकऑफ और लैंडिंग कर सकता है.
- एलसीएच अटैक हेलीकॉप्टर में फ्रांस से खास तौर से ली गईं 'मिस्ट्रल' एयर टू एयर यानी हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल और हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइल लग सकती हैं.
- एलसीएच में 70 एमएम के 12-12 रॉकेट के दो पॉड लगे हुए हैं.
- इसके अलावा एलसीएच की नोज यानी फ्रंट में एक 20 एमएम की गन लगी हुई है, जो 110 डिग्री में किसी भी दिशा में घूम सकती है.
- पायलट के हेलमेट पर ही कॉकपिट के सभी फीचर्स डिसप्ले हो जाते हैं.
आसानी से दुश्मन की रडार में नहीं आएगा
एचएएल के अधिकारियों के मुताबिक, एलसीएच में इस तरह के स्टेल्थ फीचर्स हैं कि ये आसानी से दुश्मन की रडार में पकड़ नहीं आएगा. दुश्मन हेलीकॉप्टर या फाइटर जेट ने अगर एलसीएच पर अपनी मिसाइल लॉक की, तो ये उसे चकमा भी दे सकता है. इसकी बॉडी आर्मर्ड है, जिससे उस पर फायरिंग का कोई खास असर नहीं होगा. यहां तक कि रोटर्स यानी पंखों पर गोली का भी असर नहीं होगा.
सियाचिन ग्लेशियर से लेकर राजस्थान के रेगिस्तान तक ट्रायल
भारतीय वायुसेना के लिए पूरी तरह से तैयार करने से पहले इन स्वदेशी एलसीएच हेलीकॉप्टर्स का ट्रायल सियाचिन ग्लेशियर से लेकर राजस्थान के रेगिस्तान तक हो चुका है. इस दौरान एलसीएच में पर्याप्त मात्रा में फ्यूल से लेकर उसके हथियार भी लगे हुए थे. सितबंर 2019 में एलसीएच हेलीकॉप्टर में खुद फ्लाई कर दुनिया से रूबरू एबीपी न्यूज की टीम ने कराया था. लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर, एलसीएच को देशवासियों और दुनिया से परिचय कराने के लिए एबीपी न्यूज की टीम सितंबर 2019 में बेंगलुरु से एचएएल की 'फैसिलिटी' पहुंची थी, क्योंकि एलसीएच को भारत के रक्षा-क्षेत्र की सबसे बड़ी और भरोसेमंद पब्लिक सेक्टर यूनिट, हिंदुस्तान एरोनोटिक्स लिमिटेड यानी एचएएल ने तैयार किया है.
मिशन के लिए टेस्ट पायलट को खास जिम्मेदारी सौंपी गई थी
एचएएल की फैसिलिटी से ही एबीपी न्यूज संवाददाता ने एलसीएच हेलीकॉप्टर में एचएएल के टेस्ट पायलट के साथ उड़ान भरी थी. ये कोई साधारण उड़ान नहीं थी. इस मिशन के लिए टेस्ट पायलट को एक खास जिम्मेदारी सौंपी गई थी. जिम्मेदारी थी आसमान से अपने अटैक हेलीकॉप्टर से जमीन पर एक टारगेट को नेस्तानबूत करना. इसके लिए उन्हें आसमान में सिम्युलेट करना था, यानी ट्रायल-टेस्ट करना था, क्योंकि इस अटैक हेलीकॉप्टर को आसमान से आग बरसाकर दुश्मन की सेना के टैंक हों या फिर आतंकियों के ठिकाने उन्हें तबाह करने के लिए ही तैयार किया गया है.
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