नई दिल्ली: देशभर में बच्चा चोर के नाम पर भीड़ द्वारा की जा रही हिंसा (मॉब लिंचिंग) के मामले में केंद्र की मोदी सरकार ने बड़ी कदम उठाया है. केंद्रीय गृह-मंत्रालय ने राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को भेजे गये एडवाइजरी में कहा है कि वह मॉब लिंचिंग की घटना और तेजी से फैलने वाली अफवाहों को रोके. मंत्रालय ने ये एडवाइजरी ऐसे समय में जारी किये हैं जब भीड़ बच्चा चोर होने के शक में 29 लोगों की पीट-पीटकर हत्या कर चुकी है.


गृह मंत्रालय ने कहा, ''केंद्र ने राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों से कहा है कि सोशल मीडिया के माध्यम से फैल रहे बच्चा चोर की अफवाह और उसके बाद हो रही मॉब लिंचिंग की घटना को रोकने के लिए जरूरी कदम उठाए. गृह मंत्रालय राज्यों से आग्रह करता है कि वह अफवाह रोकने के लिए एहतियातन जरूरी और प्रभावशाली कदम उठाए.''


बयान के मुताबिक, राज्य और केंद्र शासित प्रदेश जिला प्रशासन को आदेश दे कि वे अफवाह फैलने वाले इलाकों की पहचान करें और उस इलाके में अफवाह रोकने के लिए जागरुकता अभियान चलाएं.  साथ ही राज्यों को निर्देश दिया कि बच्चों की चोरी के मामलों को गंभीरता से लें और उचित पड़ताल करें.


दरअसल गृहमंत्रालय के वार्षिक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि पिछले साल पूरे देश मे बच्चों के गायब होने घटनाएं हुईं लेकिन उनकी जांच और बच्चों की बरामदगी नहीं हुई. गृहमंत्रालय के अफसरों के मुताबिक "ये बच्चा चोरी के अफवाहों के पीछे बड़ी वज़ह हो सकती है. और वज़ह है कि गृहमंत्रालय ने सभी राज्यों को निर्देश दिया है कि वो बच्चा चोरी के मामलों के जांच प्राथमिकता के आधार पर करे. और गायब हुए बच्चों की बरामदगी कर जनता का भरोसा जीतें."


सूत्रों के मुताबिक़, गृहमंत्रालय का राज्यों को एडवाइजरी की बड़ी वज़ह ये है कि अफवाहों के बाद भीड़ की हिंसा में मौत के ज्यादातर मामले बीजेपी शासित राज्यों में हुए है. ऐसे में हिंसा की घटनाएं अगर नहीं रुकती है तो नाकामी का ठीकरा केंद्र के सर फूट सकता है.


गृहमंत्रालय ने राज्यों की पुलिस के साइबर सेल को अफवाह फैलाने वालों पर नज़र रखने को कहा है. साइबर सेल को कहा गया है कि WhatsApp और Facebook के जरिए फेक वीडियो और फेक न्यूज़ डालने से सख्ती से निपटने को कहा गया है.


सोशल मीडिया का इस्तेमाल देश मे अफवाह और नफरत फैलाने के लिए किया जा रहा है उससे चिंतित है केंद्र सरकार. आईटी मिनिस्ट्री के कड़े निर्देश के बाद व्हाट्सएप ने अफवाहों को रोकने के लिए अलग से सुरक्षा फीचर बनाने का वायदा किया है. इस बीच आईटी मंत्रालय और गृहमंत्रालय सोशल मीडिया पॉलिसी बनाने में जुट गई है ताकि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के ग़लत इस्तेमाल पर नकेल कसी जा सके. आईटी मंत्रालय को सोशल मीडिया पालिसी ड्राफ्ट तैयार करने का जिम्मा सौंपा गया है.


गृहमंत्रालय ने सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के साथ जल्द ही बैठक बुलाएगी. इसमें विचार होगा कि सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर आपत्तिजनक और नफ़रत फैलाने वाले पोस्ट को फैलने से कैसे रोका जाए. गृहमंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक "आईटी मंत्रालय के अलावा ट्विटर, व्हाट्सएप और फेसबुक के प्रतिनिधियों को भी इस बैठक में बुलाया जाएगा. जल्द ही सरकार बैठक का एजेंडा और तारीख तय कर उसमें शामिल होने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म के टॉप मैनेजमेंट और आईटी एक्सपर्ट को भी बुलाएगी."


सूत्रों के मुताबिक केंद्र सरकार सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से कहेगी कि वो अपने मीडियम का गलत इस्तेमाल होने से रोके. एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक "सोशल मीडिया प्लेटफार्म को सरकार निर्देश देगी की आईटी एक्ट की धारा 69 का इस्तेमाल कर नफरत फैलाने वाले मैसेज, फ़ोटो और वीडियो को फैलने या वायरल होने से पहले ही ब्लॉक करे."


सुत्रों के मुताबिक़ "गृहमंत्रालय ने इस बैठक के एजेंडे में कीपैड जेहादी के मुद्दा भी होगा. लेकिन सोशल मीडिया पर अफवाह फैलने से रोकना सरकार की प्राथमिकता होगी. आईटी मंत्रालय से भी कहा गया है कि वो इस बैठक में सोशल मीडिया के लिए गाइडलाइन भी तैयार करें."


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आपको बता दें कि देशभर में मॉब लिंचिंग की घटना में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है. सबसे अधिक महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, झारखंड, त्रिपुरा, असम और पश्चिम बंगाल प्रभावित है. घटना की मुख्य वजह सोशल मीडिया (फेसबुक और व्हाट्सएप) है. सोशल मीडिया पर लोगों को मैसेज भेजा जाता है कि आपके आसपास के शहरों में बच्चा चोर घूम रहा है. ऐसे में भीड़ बगैर सोचे-समझे संदिग्ध लोगों को पुलिस को सौंपने की बजाय खुद मारपीट करना शुरू कर देता है. जिसमें कई बार शिकार की जानें चली जाती है.


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