नई दिल्ली: गन्ना किसानों का बकाया खत्म करने के लिए मोदी सरकार ने बुधवार को एक बड़ा फैसला किया. केंद्रीय कैबिनेट ने चीनी निर्यात को मंज़ूरी देते हुए 3500 करोड़ रुपये की निर्यात सब्सिडी देने का फ़ैसला किया है. यह सब्सिडी सीधे किसानों के खाते में दी जाएगी. इसके अलावा एक हफ्ते में गन्ना किसानों के खाते में 5310 करोड़ रुपए बकाया सब्सिडी भी भेजे जाने का फ़ैसला लिया गया.
कैबिनेट के फैसले के मुताबिक सरकार ने चीनी मिलों के पास पड़ी क़रीब 60 लाख टन चीनी को निर्यात करने की अनुमति दे दी है. निर्यात करने के लिए सरकार की ओर से 3500 करोड़ रुपए की सहायता सब्सिडी के तौर पर दी जाएगी. बड़ी बात ये है कि ये सब्सिडी चीनी मिलों को नहीं, बल्कि सीधे किसानों के खाते में भेजी जाएगी.
कैबिनेट की फ़ैसले को प्रधानमंत्री ने किसानों के लिए खुशी का दिन बताया है . पीएम ने ट्वीट कर कहा,
"देश के करोड़ों अन्नदाताओं के लिए आज विशेष खुशी का दिन है. कैबिनेट ने 5 करोड़ गन्ना किसानों के लिए 3500 करोड़ रुपये की सहायता राशि मंजूर की है. पैसा सीधे उनके खातों में ट्रांसफर होगा. इससे चीनी मिलों से जुड़े लाखों कामगारों को भी लाभ पहुंचने वाला है."
इस साल देश में चीनी का कुल उत्पादन क़रीब 320 लाख मीट्रिक टन हुआ है जबकि घरेलू खपत केवल 255 - 260 लाख मीट्रिक टन है. ऐसे में बाक़ी बची चीनी का बिकना मुश्किल हो है. अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में चीनी की क़ीमत कम होने के चलते घरेलू चीनी की बिक्री संभव नहीं है. बाकी बचे करीब 60 लाख टन चीनी के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए अब सरकार ने पैकेज का ऐलान किया है .
मुज़फ्फरनगर समेत पश्चिम उत्तर प्रदेश में कई चीनी मिलें हैं. मुज़फ्फरनगर से सांसद और केंद्रीय मंत्री डॉ संजीव बालियान का कहना है कि कैबिनेट के फ़ैसले से गन्ना किसानों का बकाया खत्म करने में काफी मदद मिलेगी. फ़िलहाल गन्ना किसानों का चीनी मिलों पर क़रीब 15000 करोड़ रुपया बकाया है.
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