नई दिल्ली: तीन राज्यों में मिली हार के बाद किसानों की कर्जमाफी का दबाव मोदी सरकार बढ़ गया है.. अब एबीपी न्यूज को सूत्रों से खबर मिली मोदी सरकार किसानों के लिए कुछ बड़े कदमों का एलान कर सकती है जिसे मोदी की किसान क्रांति कहा जा रहा है.
मोदी सरकार 50 हजार करोड़ रुपये की रकम के साथ तत्काल किसानों की मदद करने का प्लान बना रही है. वित्त मंत्रालय, कृषि मंत्रालय और नीति आयोग, मोदी सरकार के ये तीन स्तंभ मिलकर किसानों को राहत देने के लिए तीन विकल्पों पर विचार कर रहे हैं.
- भावांतर योजना
- किसानों की कर्जमाफी
- बुआई से पहले नकद मदद
भावांतर योजना पर गंभीरता से विचार कर रही है सरकार
पिछले साल मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने जिस भावांतर योजना के जरिये 15 लाख किसानों की मदद की थी. केंद्र की मोदी सरकार भी उसी की तर्ज पर किसानों को फसल की न्यूनतम समर्थन मूल्य और बिक्री मूल्य के अंतर को सीधे खाते में भेजने पर विचार कर रही है. एबीपी न्यूज़ को सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक़, सरकार इसी विकल्प पर गंभीरता से विचार कर रही है. इस योजना की सबसे बड़ी ख़ासियत ये होगी कि इसे पिछले ख़रीफ़ सीजन से ही लागू किए जाने की योजना है.
पिछले फसल सीजन से योजना लागू होने की संभावना
भावांतर योजना में किसान अगर सरकार की तरफ से तय न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी से कम में फसल बेचता है, तो बाकी रकम सरकार की तरफ से दी जाती थी. इसका लाभ उन किसानों को भी मिलेगा जिन्होंने ख़रीफ़ की फ़सल अक्टूबर और नवंबर में बाज़ार में बेची है. क्योंकि पिछले फसल सीजन से योजना लागू होने की संभावना है, इसलिए शुरुआत में किसानों को प्रति एकड़ तय रकम दी जा सकती है.
शुरुआती हिसाब लगाने पर सरकार किसानों को प्रति एकड़ 1500 से 2000 रुपया देने पर विचार कर सकती है. इस योजना में इस वित्तीय वर्ष में लगभग 50 हजार करोड़ रुपए ख़र्च होने का अनुमान है.
किसानों को नकद मदद का हिसाब लगा रही है सरकार
शिवराज सरकार ने 2017 के 6 महीनों में ही 1950 करोड़ रुपए खर्च किए थे. हालांकि इसका सियासी फायदा शिवराज को नहीं मिला. अब सरकार कर्जमाफी की जगह किसानों को नकद मदद का हिसाब लगा रही है.
नाबार्ड के मुताबिक देश के 10 करोड़ 7 लाख किसानों में से 52 फीसदी किसान कर्ज में दबे हुए हैं और किसानों का सवा तीन लाख करोड़ रुपये का कर्ज है. सूत्रों के मुताबिक सरकार के सामने तेलंगाना और झारखंड की तर्ज़ पर किसानों को फ़सलों की बुवाई से पहले सहायता के तौर पर एक तय रक़म देने और देश भर के किसानों की क़र्ज़ माफी का भी विकल्प है लेकिन फ़िलहाल सरकार इसके पक्ष में नहीं दिखाई देती. सवाल ये है कि अब तीन लाख करोड़ रुपये के कर्ज के सामने किसानों के लिए ये मदद थोड़ी तो नहीं पड़ जाएगी.
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