नई दिल्ली: नरेंद्र मोदी सरकार के 3 साल पूरे होने पर 26 मई के दिन राष्ट्रपति भवन में 'मन की बात होगी'. 26 मई को ही प्रधानमंत्री मोदी के 'मन की बात' पुस्तक के रूप में सामने आएगी. इस पुस्तक का विमोचन लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन करेंगी.  पुस्तक की पहली प्रति राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को दी जाएगी.


वित्त मंत्री अरुण जेटली सहित मोदी मंत्रिमंडल के तमाम बड़े चेहरे इस अवसर पर मौजूद होंगे. खास बात ये है कि दो खंडों वाली इस पुस्तक में खुद प्रधानमंत्री मोदी यह बता रहे होंगे कि आखिर 'मन की बात' की योजना कैसे बनी और इसके पीछे की सोच क्या थी.


एबीपी न्यूज़ आपको इस पुस्तक से जुड़ी एक्सक्लूसिव जानकारी पांच दिन पहले देने जा रहा है

'मन की बात' पुस्तक की प्रस्तावना जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने लिखी है. वहीं बाबा रामदेव से लेकर श्री श्री रविशंकर जैसे लोगों की टिप्पणियां इस पुस्तक में भरी पड़ी हैं. कुल मिलाकर इस पुस्तक को लिखने के सिलसिले में करीब चार सौ लोगों से बातचीत की गई है.

इस पुस्तक में सबसे खास हिस्सा वह है जिसमें खुद प्रधानमंत्री मोदी के विचार हैं. जिसमें बताया गया है कि आखिर कैसे 'मन की बात' कार्यक्रम शुरू करने की कल्पना की गई या फिर कार्यक्रम के नाम के लिए 'मन की बात को चुना गया. दो खंडों वाली यह पुस्तक हिंदी के साथ-साथ अंग्रेजी भाषा में भी है.

पुस्तक के पहले खंड में जहां 'मन की बात' की परिकल्पना, विषयों के चयन और आम आदमी से इसके बार में सलाह कैसे ली गई का जिक्र है तो वहीं दूसरे खंड में अभी तक हुई कुल 31 मन की बात का ट्रांसक्रिप्ट है.



खास बात है कि पीएम मोदी ने अपने कार्यकाल के पहले साल में आकाशवाणी पर 'मन की बात' शुरू की थी. गांधी जयंती के अगले ही दिन यानी 3 अक्टूबर 2014 को 'मन की बात' का पहला एपिसोड ब्रॉडकास्ट हुआ था. इसका सबसे ताजा (31वां) एपिसोड बीते 29 अप्रैल को प्रसारित हुआ था.

प्रधानमंत्री मोदी ने 2.5 साल की इस अवधि के दौरान ड्रग्स की समस्या, परीक्षा में दबाव से छात्र कैसे दूर रहें, स्वच्छता और चिड़ियों को कैसे पानी पिलाया जाए जैसे विषयों पर भी बात की. पुस्तक में इस बात का भी विश्लेषण किया गया है कि अभी तक की तमाम 'मन की बात' कार्यक्रम में सबसे अधिक किस शब्द या मुद्दे पर जोर रहा है.

इस पुस्तक में यह भी बताया गया है कि कैसे ना सिर्फ ग्रामीण भारत के लोगों को बल्कि युवाओं को भी इस कार्यक्रम से जोड़ा गया. लोगों को इस पुस्तक के जरिए यह भी पता चलेगा कि इस कार्यक्रम को लेकर लाखों की तादाद में जो पत्र और सुझाव भेजे जाते हैं उनका चुनाव पीएमओ आखिर किस आधार पर करता है.