नई दिल्ली: सशस्त्र सेनाओं में महिलाओं को स्थायी भर्ती देने के लिए सरकार एक समान नीति लाने पर विचार कर रही है. इस बात का खुलासा आज खुद रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने किया. वे राजधानी दिल्ली में फिक्की द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहीं थीं.
दरअसल, अभी तक सेना की तीनों अंगों में महिलाओं की भर्ती के अलग-अलग नियम कानून हैं. जहां नौसेना और वायुसेना में महिलाओं को स्थायी कमीशन मिल गया है. वहीं थलसेना की सिर्फ दो ब्रांच (जैग और एजुकेशन ब्रांच) में ही महिलाओं को स्थायी कमीशन दिया गया है.
इसके अलावा जहां वायुसेना में महिलाओं को कॉम्बेट रोल यानि लड़ाकू स्तर पर भी भर्ती शुरू हो गई है वहीं थलसेना और नौसेना में उन्हें किसी भी तरह की लड़ाकू पोस्ट यानि युद्धक कार्य नहीं दिया गया है. थलसेना में महिलाएं सिर्फ सिगनल, इंजीनियरिंग, मेडिकल कोर, मिलिट्री-पुलिस इत्यादि में ही जगह पा सकती हैं. इंफेन्ट्री, आर्टेलैरी और आर्मर्ड कोर जैसी कॉम्बेट-यूनिट्स में उनकी भर्ती पर पूरी तरह से पाबंदी है. नौसेना में भी महिलाओं को अभी तक युद्धपोतों पर तैनात नहीं किया जाता है.
सेनाओं में महिलाओं को लेकर अलग-अलग सर्विस और रिक्रूटमेंट रूल्स को लेकर ही अब सरकार एक समान नियम कानून लाना चाहती है. सेना मुख्यालय के एक बड़े अधिकारी ने बताया कि थलसेना में अब महिलाओं का एक 'स्पेशल कैडर' बनाने की तैयारी चल रही है. इस कैडेर के जरिए महिलाओं को जज एडवोकेट ब्रांच (जैग यानि लीगल ब्रांच) और एजुकेशन ब्रांच के अलावा साइबर, आईटी, इमेज इंटरप्रेटेशन, इत्यादि में महिलाओं को स्थायी भर्ती दी जायेगी.
लड़कियां हर जगह रास्ते खोल रही हैं- आसमान, समुद्र और अब जमीन पर भी