EWS Quota: सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के निर्धारण मानदंडों पर फिर से विचार के लिए समिति गठित की
EWS Quota: केंद्र सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के निर्धारण मानदंडों पर फिर से विचार के लिए समिति गठित की है.
EWS Quota: केंद्र सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को आरक्षण प्रदान करने के लिए मानदंडों पर फिर से विचार करने के लिए एक समिति का गठन किया है. सरकार ने पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया था कि उसने इन मानदंडों पर फिर से विचार करने का निर्णय लिया है. समिति में तीन सदस्यों को नामित किया गया है. इसमें पूर्व वित्त सचिव अजय भूषण पांडे, भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद के सदस्य सचिव वी के मल्होत्रा और सरकार के प्रमुख आर्थिक सलाहकार संजय सान्याल शामिल हैं. समिति को तीन सप्ताह के भीतर अपना काम पूरा करने को कहा गया है.
मंगलवार को जारी एक अधिकारिक ज्ञापन में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने कहा कि केंद्र सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) के निर्धारण के मानदंडों संविधान के अनुच्छेद 15 की व्याख्या पर फिर से विचार करने के लिए सुप्रीम कोर्ट को दिए गए आश्वासन के अनुसार एक समिति का गठन किया है.
समिति सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों को ध्यान में रखते हुए मानदंडों के निर्धारण में ये समिति फिर से विचार करेगी. यह आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों की पहचान के लिए देश में अब तक अपनाए गए विभिन्न दृष्टिकोणों की भी जांच करेगी और भविष्य में कमजोर वर्गों की पहचान के लिए अपनाए जाने वाले मानदंडों की सिफारिश करेगी.
दरअसल, शीर्ष न्यायालय छात्रों की याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है जिसमें मौजूदा अकादमिक वर्ष के लिए राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट-पीजी) में चिकित्सा पाठ्यक्रमों के लिए दाखिले में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण और ईडब्ल्यूएस के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण उपलब्ध कराने के लिए केंद्र तथा मेडिकल काउंसिलिंग कमिटी के 29 जुलाई के नोटिस को चुनौती दी गयी है.
याचिकाकर्ताओं (छात्रों) की पैरवी करने वाले अधिवक्ता ने कहा है कि चूंकि काफी समय बीत गया है तो केंद्र को अगले अकादमिक वर्ष के लिए ईडब्ल्यूएस आरक्षण के क्रियान्वयन को वापस लेना चाहिए और मौजूदा वर्ष की काउंसिलिंग को शुरू करना चाहिए,