नई दिल्लीः चीनी सामानों और कम्पनियों का वर्चस्व तोड़ने की मुहिम में लगी मोदी सरकार ने एक और बड़ा फ़ैसला लिया है. गुरुवार को सरकार ने General Finance Rules 2017 में बदलाव करने का फ़ैसला किया है. फ़ैसले के मुताबिक़ सरकारी ठेकों और नीलामी में उन देशों की कम्पनियों को सीधे इजाज़त नहीं दी जाएगी जिनकी ज़मीनी सीमाएं भारत से लगती हों.


ऐसे देशों में पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान, चीन, नेपाल, भूटान और बांग्लादेश आते हैं लेकिन सरकार का फ़ैसला साफ़ तौर पर चीनी कम्पनियों पर लगाम लगाने के उद्देश्य से लिया हुआ माना जा रहा है. फ़ैसला सभी नए और कुछ शर्तों के साथ पुराने ठेकों पर भी लागू होगा.


नियमों में बदलाव के मुताबिक़ सरकारी ठेका प्राप्त करने के लिए होने वाली नीलामी में इन देशों की कम्पनियां सीधे हिस्सा नहीं ले पाएंगी. अब इन कम्पनियों को पहले भारत में रजिस्ट्रेशन करवाना होगा.


रजिस्ट्रेशन का काम वाणिज्य मंत्रालय के तहत आने वाला औद्योगिक संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग ( Department for Promotion of Industries & Internal Trade ) की ओर से गठित रजिस्ट्रेशन कमिटी द्वारा किया जाएगा. हालांकि बदले गए नियम में ये साफ़ शर्त लगाई गई है कि इन कम्पनियों को गृह मंत्रालय से सुरक्षा सम्बन्धी जबकि विदेश मंत्रालय से राजनीतिक मंज़ूरी लेनी होगी.


पाबंदी लगाने का आधार भारत की बाहरी और आंतरिक सुरक्षा सम्बन्धी ज़रूरतों को बनाया गया है. ये पाबंदी सभी सरकारी बैंकों और वित्तीय संस्थाओं, स्वायत्त संस्थाओं, सरकारी कम्पनियों और पब्लिक-प्राइवेट क्षेत्र के वैसे सभी प्रोजेक्टों में लगाई गई हैं जिन्हें सरकार से वित्तीय सहायता मिलती है. हालांकि ये पाबंदी निजी क्षेत्र की कम्पनियों पर लागू नहीं होगी.


हालांकि सरकार ने अपने आदेश में सीमित मामलों में कुछ रियायतें भी दी हैं. इनमें कोरोना महामारी से लड़ने के लिए मेडिकल सामानों की आपूर्ति भी शामिल हैं. इन्हें फिलहाल 31 दिसम्बर 2020 तक इस पाबंदी से छूट दिए जाने का फ़ैसला लिया गया है. उन देशों को भी इस फ़ैसले से बाहर रखा गया है जिन्हें भारत क्रेडिट देता है और उनके विकास में वित्तीय सहायता प्रदान करता है.


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