Parkash Singh Badal Death: अकाली दल के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल (Parkash Singh Badal) के निधन पर केंद्र सरकार ने दो दिनों (26 और 27 अप्रैल) के राष्ट्रीय शोक (National Mourning) की घोषणा की है.


95 वर्षीय शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के प्रमुख प्रकाश सिंह बादल ने मंगलवार (25 अप्रैल) की रात करीब आठ बजे मोहाली के एक निजी अस्पताल में आखिरी सांस ली. अस्पताल के अधिकारियों ने बताया कि बादल को एक सप्ताह पहले सांस लेने में परेशानी होने की शिकायत के बाद भर्ती कराया गया था.


बादल के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह, राजनाथ सिंह, राहुल गांधी, योगी आदित्यनाथ, भगवंत मान, अरविंद केजरीवाल, अखिलेश यादव और अशोक गहलोत समेत तमाम दिग्गज नेताओं ने दुख जताया है. प्रकाश सिंह बादल का गुरुवार (27 अप्रैल) को अंतिम संस्कार किया जाएगा.


किसके लिए होता राष्ट्रीय शोक ?
राष्ट्रीय शोक श्रद्धांजलि देने और दुख जताने का एक प्रतीकात्मक संकेत है. यह किसी खास अहमियत रखने वाले शख्स की इज्जत करने का एक जरिया भी है. राष्ट्रीय शोक का मतलब है ऐसा शख्स जिसके निधन से पूरा राष्ट्र शोक में हो और उनकी ये क्षति सभी को महसूस रही हो. 


राजकीय अंतिम संस्कार शुरू में प्रधानमंत्रियों, राज्यों के मुख्यमंत्रियों और वर्तमान और पूर्व केंद्रीय मंत्रियों को दिया जाता था, हालांकि, बाद में पैमाना बदल दिया गया था और ये सम्मान अब उस शख्स को भी दिया जाता है, जिन्होंने देश के लिए काम किया है.


राष्ट्रीय शोक का एलान केंद्र सरकार करती है. राष्ट्रीय शोक की एलान सरकार एक राजपत्र अधिसूचना काली पट्टी के साथ जारी करने के साथ करती है. इसी तरह राज्य सरकारें अपने-अपने राज्यों में राजकीय शोक दिवस का एलान कर सकती हैं. दरअसल पहले यह एलान केंद्र सरकार की सलाह पर देश के राष्ट्रपति ही कर सकते थे.


हालिया बदले गए नियमों के मुताबिक,अब राज्यों को भी ये हक दिया गया है कि वो तय करें कि किस शख्स राजकीय सम्मान देना है और किस को नहीं देना है .केंद्र और राज्य सरकारें अलग-अलग राजकीय शोक का एलान कर सकते हैं. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर केंद्र और राज्य सरकारों ने अलग-अलग राष्ट्रीय और राजकीय शोक का एलान किया था.


क्या कहता है भारत का फ्लैग कोड ?


देश के फ्लैग कोड के मुताबिक, "गणमान्य लोगों के निधन के बाद राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुका दिया जाता है."  राष्ट्रीय शोक के दौरान देश के बाहर भारत के दूतावासों और उच्चायोगों पर भी राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुकाने का ये नियम लागू होता है. राष्ट्रीय शोक के दौरान राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुकाने की प्रक्रिया गृह मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के मुताबिक की जाती है. 


इसके तहत पूरे भारत में राष्ट्रीय ध्वज शोक के दिन उन सभी भवनों पर आधा झुका रहता है, जहां ये ध्वज नियमित तौर से फहराया जाता है. इसका मतलब है कि संसद, सचिवालय, विधानसभा, अन्य अहम राष्ट्रीय इमारतों या सरकारी दफ्तरों पर लगा राष्ट्रध्वज आधा झुका रहता है.


राष्ट्रीय शोक के दौरान किसी तरह के आधिकारिक मनोरंजन करने की भी मनाही है. इस दौरान कोई औपचारिक समारोह आयोजित नहीं किया जाता है. 


राष्ट्रीय शोक में मरने वाले को तोपों की सलामी देकर सम्मानित किया जाता है. इसके साथ ही जिस ताबूत में गणमान्य शख्स के शव को ले जाया जा रहा होता है उसे तिरंगे से लपेटा जाता है.


इसके साथ ही सार्वजनिक अवकाश का भी एलान किया जा सकता है. केंद्र सरकार के 1997 के नोटिफिकेशन के मुताबिक राजकीय शवयात्रा के दौरान भी कोई सार्वजनिक अवकाश देना जरूरी नहीं है. इसके तहत राष्ट्रीय शोक के दौरान अनिवार्य सार्वजनिक अवकाश को समाप्त कर दिया गया है.


किसी राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री के पद पर रहने के दौरान मौत होने पर राष्ट्रीय शोक के दौरान सार्वजनिक अवकाश का एलान होता है. हालांकि, अक्सर पद पर न रहने वाले गणमान्य लोगों की मौतके बाद भी सार्वजनिक अवकाश का एलान किया जाता है क्योंकि इसका आखिरी अधिकार राष्ट्रपति के पास ही है. 


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