नई दिल्ली: एक सूचना का अधिकार(आरटीआई) आवेदन के जरिए ये खुलासा हुआ है कि केन्द्र सरकार को ये जानकारी ही नहीं है कि आखिर पिछले चार सालों में गंगा कितनी साफ हुई है. गंगा सफाई पर अब तक 3800 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं लेकिन सरकार को ये पता नहीं है कि इन पैसों से चलाई जा रही परियोजनाओं के जरिए गंगा कितनी साफ हुई है.
आरटीआई याचिकाकर्ता एवं पर्यावरणविद विक्रांत तोंगड़ कहते हैं, "आरटीआई के तहत यह ब्योरा मांगा गया था कि अब तक गंगा की कितनी सफाई हुई है, लेकिन सरकार इसका कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं करा पाई." वह कहते हैं, "सरकार क्या इतनी बात नहीं जानती कि गंगा में गंदे नालों के पानी को जाने से रोके बिना गंगा की सफाई नहीं हो सकती है. नमामि गंगा के तहत सरकार ने गौमुख से गंगा सागर तक का जो हिस्सा कवर किया है, वहां के हालात जाकर देखिए, काई, गाद और कूड़े का ढेर देखने को मिलेगा. इसी तरह आप गढ़गंगा यानी गढ़मुक्तेश्वर का हाल देख लीजिए. सफाई हुई कहां है और हो कहां रही है?"
तोंगड़ ने कहा कि गंगा को लेकर 'पॉलिटिकल विल' में इजाफा तो हुआ है, लेकिन इस काम को विकेंद्रीकृत किए जाने की जरूरत है. 'एडमिनिस्ट्रेटिव अप्रोच' अपनाए जाने की जरूरत है. गंगा में पानी की भी कमी है. इसकी सहायक नदियों का अतिक्रमण हुआ है. सफाई के नाम पर खर्च अधिक हुआ है लेकिन फायदा कहीं दिख नहीं रहा है. कचरे के निपटान की व्यवस्था करनी भी जरूरी है. इसके लिए ट्रेनिंग नेटवर्क तैयार करना होगा.
प्रधानमंत्री बनने से पहले 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी के स्टार प्रचारक नरेंद्र मोदी गंगा सफाई को लेकर बहुत सारी बातें किया करते थे. गुजरात से उत्तर प्रदेश के वाराणसी आए मोदी ने सांसद प्रत्याशी के रूप में गंगा को नमन करते हुए कहा था, "न मैं यहां खुद आया हूं, न किसी ने मुझे लाया है, मुझे तो गंगा मां ने बुलाया है." गंगा के प्रति उनकी भक्ति देखकर देश की जनता ने उनमें विश्वास जताया और उन्हें भारी मतों से जिताकर देश का प्रधानमंत्री बनाया.
मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद 'नमामि गंगे' नाम से एक परियोजना शुरू की गई. इसकी जिम्मेदारी केंद्रीय मंत्री उमा भारती को सौंपी गई. हालांकि कुछ दिनों बाद उमा भारती को उनके पद से हटा दिया गया और अब नितिन गडकरी ये मंत्रालय संभाल रहे हैं.
इस सरकार के पांच साल पूरे होने में एक साल से भी कम समय बचा है. ऐसे में सवाल उठता है कि पिछले चार सालों में गंगा कितनी साफ हुई. यही बात जानने के लिए एक आरटीआई फाइल की गई थी लेकिन मंत्रालय ने बताया कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है. गंगा सफाई योजना मोदी सरकार के फ्लैगशिप प्रोगाम्स में से एक है.
गंगा की सफाई को लेकर अभियान चला रहीं कार्यकर्ता जयंती कहती हैं, "गंगा की सफाई का बिगुल बजाए एक अरसा हो गया है, लेकिन सरकार ने सफाई के नाम पर कुछ घाट चमका दिए हैं, लेकिन सरकार के पास क्या गंगा के घटते जलस्तर पर कोई जवाब है? गंगा में जमी गाद को हटाने के लिए सरकार कर क्या रही है? इसे हटाए बिना जलमार्ग का विकास असंभव है, क्योंकि गंगा जब तक अविरल नहीं होगी, निर्मल भी नहीं होगी."
पर्यावरणविद जयंती ने कहा, "समस्या यह है कि अभी जो काम हो रहा है, उसका असर अगले तीन से चार साल में देखने को मिलेगा लेकिन तब तक और गंदगी, कूड़ा इकट्ठा हो जाएगा. सरकार को नेचुरल ट्रीटमेंट प्रोसेस को शुरू करने की जरूरत है लेकिन लगता है कि सरकार गंभीर ही नहीं है." उन्होंने कहा, "सरकार ने 2020 तक 80 फीसदी गंगा साफ करने का लक्ष्य रखा है, लेकिन अभी तक कितनी साफ हुई है, इसका कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं कराया गया है. 2019 में कितनी गंगा साफ करेंगे इसका हिसाब भी किसी और को नहीं, सरकार को ही देना है."