कोरोना की दूसरी लहर के बाद फिलहाल हालात सामान्य हो रहे हैं और अर्थव्यवस्था भी पटरी पर आती दिख रही है. ऐसे में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए राज्यों के खाते में एक साथ ज़्यादा पैसा देने का फ़ैसला किया गया है.


22 नवम्बर को राज्यों की झोली भरने वाली है. मोदी सरकार ने फ़ैसला किया है कि अर्थव्यवस्था में तेज़ी लाने के लिए राज्य सरकारों के पास पैसों की कोई कमी नहीं होनी चाहिए. इसके लिए केन्द्रीय करों में से इस महीने राज्यों के हिस्से की एक नहीं बल्कि दो किस्तें एक साथ देने का फ़ैसला किया गया है. 22 नवम्बर को सभी राज्यों को दो किस्तों का कुल 95000 करोड़ रुपया एक साथ भेजा जाएगा. जबकि अगर एक ही क़िस्त भेजी जाती तो ये रक़म 47500 करोड़ रुपए होती.


ये है मकसद


एक साथ दो किस्तें भेजने का मक़सद राज्यों के ख़ज़ाने में एक साथ ज़्यादा पैसा भेजना है. इससे राज्यों को अपने यहां बुनियादी ढांचे के विकास के लिए एक मुश्त पैसा मिल सकेगा. दरअसल वित्त आयोग की अनुशंसा के मुताबिक़ अलग-अलग केन्द्रीय करों से मिलने वाले पैसों को केंद्र सरकार एक साल में 14 किस्तों के रूप में राज्यों को देती है. इसमें वित्तीय वर्ष के पहले महीने अप्रैल से लेकर फरवरी तक अमूमन हर महीने की 20 तारीख़ को मिलने वाली 11 किस्तें शामिल हैं जबकी आख़िरी महीने यानि मार्च में 3 किस्तें दी जाती हैं. सरकार ने फ़ैसला किया है कि मार्च में दी जाने वाली तीन किस्तों में से एक क़िस्त नवम्बर महीने की क़िस्त के साथ ही दी जाएगी.


उदाहरण के लिए , उत्तरप्रदेश को जहां नवम्बर महीने की क़िस्त 8528 करोड़ रुपए मिलती वहीं अब दो क़िस्त मिलाकर कुल 17056 करोड़ रुपए मिलेंगे । बंगाल को 3576 करोड़ की जगह 7152 करोड़ रुपए तो वहीं महाराष्ट्र को 3003 करोड़ रुपए की जगह 6006 करोड़ रुपए मिलेंगे.


निर्मला सीतारमण ने राज्यों के मुख्यमंत्रियों संग की बैठक


सोमवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यों के मुख्यमंत्रियों और वित्त मंत्रियों के साथ बैठक की. बैठक का उद्देश्य कोरोना की दूसरी लहर के बाद पटरी पर वापस लौटती दिख रही अर्थव्यवस्था में जान डालने के लिए एक साझा कार्य योजना बनाना था. बैठक में उत्तर प्रदेश समेत 15 राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल हुए जबकि 11 राज्यों के वित्त मंत्री उनकी ओर से शरीक हुए. बैठक के बाद निर्मला सीतारमण ने राज्यों को एक साथ दो किस्तों का पैसा देने का फ़ैसला किया.


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