अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र को प्राइवेट सेक्टर के लिए खोलने का सरकार का फ़ैसला, अब अंतरिक्ष में रॉकेट छोड़ने का काम भी करेंगी प्राइवेट कम्पनियां!
मोदी सरकार ने अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र को निजी हाथों के लिए भी खोलने का फ़ैसला किया है. अंतरिक्ष विज्ञान विभाग के राज्य मंत्री डॉक्टर जितेंद्र सिंह ने इन बदलावों को सुधार का बड़ा क़दम क़रार दिया. इन क़दमों में एक अहम ऐलान अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र को प्राइवेट सेक्टर के लिए भी खोलने का है.
नई दिल्लीः अंतरिक्ष विज्ञान में भारत दुनिया के उन चुनिंदा देशों में शुमार होता है, जिसने अपनी क्षमता के बल पर कई उपलब्धियां पाई हैं. इसे भारत की अपनी स्पेस एजेंसी इसरो ने सम्भव कर दिखाया है. उपग्रहों को अंतरिक्ष में छोड़ने से लेकर अपना रॉकेट मंगल ग्रह और चांद तक भेजने तक इसरो ने क़ामयाबी के झंडे गाड़े हैं. लेकिन अब देश में अंतरिक्ष विज्ञान की तस्वीर बदल सकती है क्योंकि मोदी सरकार ने इस क्षेत्र को निजी हाथों के लिए भी खोलने का फ़ैसला किया है.
बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में कुछ बदलावों को मंज़ूरी दी गई. अंतरिक्ष विज्ञान विभाग के राज्य मंत्री डॉक्टर जितेंद्र सिंह ने इन बदलावों को सुधार का बड़ा क़दम क़रार दिया. इन क़दमों में एक अहम ऐलान अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र को प्राइवेट सेक्टर के लिए भी खोलने का है.
कैबिनेट के फ़ैसले के मुताबिक़ हाल ही में गठित संस्था Indian National Space Promotion & Authorization Centre ( IN- SPACe) को इस क्षेत्र में प्राइवेट कंपनियों के लिए एक समान व्यवस्था तैयार करने का ज़िम्मा दिया गया है, ताकि ये कम्पनियां भी भारतीय अंतरिक्ष के मूलभूत संरचना का उपयोग कर सकें. संस्था निजी क्षेत्र को अंतरिक्ष के क्षेत्र में प्रोत्साहन और मार्गदर्शन का भी काम करेगी और इसके लिए नीतियों के ज़रिए अनुकूल माहौल पैदा किया जाएगा.
हालांकि सरकार ने ये साफ़ नहीं किया है कि आख़िर प्राइवेट कंपनियों को किस हद तक भारतीय अंतरिक्ष संरचना का उपयोग करने की छूट मिलेगी. सरकार का कहना है कि प्राइवेट कम्पनियां आने से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानि इसरो रिसर्च एंड डेवलपमेंट पर ज़्यादा ध्यान केंद्रित कर पाएगा. तो क्या ये माना जाए कि भविष्य में इसरो रॉकेट प्रक्षेपण के काम से अपने को धीरे धीरे अलग कर लेगा? ये सवाल इसलिए भी उठ रहा है क्योंकि सरकार के मुताबिक़ कुछ ग्रहों के खोजी मिशन में भी प्राइवेट कम्पनियां लगाई जाएंगी.
वैसे जब ये सवाल डॉक्टर जितेंद्र सिंह से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इसका फ़ैसला केस टू केस आधार पर किया जाएगा. उन्होंने ये इशारा ज़रूर किया कि अंतरिक्ष में भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने के लिए जाने वाला गगनयान समेत सभी वैसे कार्यक्रम जो पहले से ही चलाए जा रहे हैं उनपर इसरो का काम जारी रहेगा.
सरकार ने दावा किया कि इस फ़ैसले से अंतरिक्ष विज्ञान के तकनीक का इस्तेमाल सामाजिक आर्थिक क्षेत्र में ज़्यादा प्रभावी ढंग से हो सकेगा. साथ ही, अब अंतरिक्ष मिशन का लक्ष्य आपूर्ति पूरक न होकर मांग पूरक हो जाएगा ताकि इस संरचना का बेहतर और अधिकतम इस्तेमाल हो सके.
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