नई दिल्ली: शादी समारोह या किसी और खुशी के मौके पर हवाई फायरिंग होना देश में आम बात हो गई है, और इसी फायरिंग से लोगों की मौत की खबरें भी आती रहती हैं. फायरिंग की ऐसी घटनाओं पर केंद्र सरकार लगाम लगाने जा रही है. सरकार ने आर्म्स एक्ट में बदलाव के लिए लोकसभा में बिल पेश किया है.


दरअसल खुशी के मौकों पर की गई फायरिंग से होने वाली मौत पर रोकथाम के लिए मोदी सरकार ने 1959 के आर्म्स एक्ट में बदलाव के लिए लोकसभा में एक बिल पेश किया है जिसपर सोमवार को चर्चा होने की संभावना है. बिल में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सजा का प्रावधान किया गया है. बिल में कहा गया है कि अगर शादी, सार्वजनिक समारोहों या धार्मिक आयोजनों में हथियारों का इस्तेमाल इस तरह से करता है कि वहां मौजूद लोगों की जान और सुरक्षा खतरे में पड़ जाए, तो ऐसी हरकत पर दो साल की सजा या 1 लाख रुपए के जुर्माने का प्रावधान रखा गया है. अभी तक ऐसे अपराध के लिए किसी सजा का प्रावधान नहीं है.


तीन की जगह एक हथियार का लाइसेंस लेकिन लाइसेंस पांच साल के लिए वैध


बिल में आर्म्स एक्ट के एक अहम प्रावधान में बदलाव का प्रस्ताव है. बिल में देश में किसी भी नागरिक को केवल 1 बंदूक या पिस्टल का ही लाइसेंस दिए जाने का प्रस्ताव दिया गया है. फिलहाल कोई नागरिक 3 बंदूक या पिस्टल का लाइसेंस ले सकता है. बिल में कहा गया है कि जिन लोगों के पास एक से ज्यादा बंदूक का लाइसेंस है उन्हें एक को छोड़कर सभी बंदूक सरकार या मान्यता प्राप्त डीलर को एक साल के भीतर लौटानी पड़ेगी. जो हथियार नहीं लौटाए जाएंगे उनका लाइसेंस एक साल पूरा होने के बाद 90 दिनों के अंदर खत्म हो जाएगा. वैसे बिल में एक सहूलियत ये रखी गई है कि किसी हथियार का लाइसेंस अब तीन साल की जगह पांच साल के लिए वैध होगा. यानि लाइसेंस को तीन की बजाए हर 5 साल पर रिन्यू करवाना होगा.


पुश्तैनी हथियारों पर भी लागू होगा कानून


हालांकि बिल के कुछ प्रावधानों को लेकर विवाद हो सकता है. बिल में लाइसेंस देने के लिए हथियारों की सीमा केवल एक रखी गई है. अहम बात ये है कि ये सीमा उन हथियारों पर भी लागू होगी जो पुश्तैनी हैं. मतलब राज रजवाड़ों के खानदान के लोग भी केवल एक ही हथियार का लाइसेंस रख सकते हैं.


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