नई दिल्लीः मोदी सरकार ने नौकरशाही में सुधार के लिए बड़ा कदम उठाया है.  ब्यूरोक्रेसी में सीधे एंट्री देने के लिए एक बड़ा बदलाव किया है जिसके तहत बिना यूपीएससी की परीक्षा पास किए हुए भी सरकार का हिस्सा बना जा सकता है. इस बदलाव के तहत अब निजी और पीएसयू कंपनियों में काम करने वाले प्रोफेशनल्स भी सरकार में ज्वाइंट सेक्रेटरी के लेवल पर काम कर पाएंगे. 15 साल की प्राइवेट नौकरी के अनुभव वाले भी आवेदन कर सकते हैं. इसके लिए सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग ने एक विज्ञापन भी जारी कर दिया है. सरकार ने ज्वाइंट सेक्रेटरी के लिए 10 वैकेंसी निकाली है.


नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग के विज्ञापन को ट्वीट करते हुए लिखा है कि पीएम मोदी ने एक और बड़े आर्थिक रिफॉर्म के तहत शीर्ष सिविल सर्विसेज के लिए लेटरल एंट्री (पार्श्व एंट्री) के तहत आवेदन मंगाए हैं. उम्मीद है कि देश के उच्च दिमाग वाले लोग इस मौके को हाथोंहाथ लेंगे और देश की सेवा करने के लिए आगे आंएंगे. ऐसे लोग आर्थिक सुधारों की सफलता के लिए बेहद अहम हैं.





डीओपीटी ने जो विज्ञापन जारी किया है उसके तहत 10 ऐसे लोगों की ज्वाइंट सेक्रेटरी लेवल पर नियुक्ति की जाएगी जिन्होंने राजस्व, फाइनेंशियल सर्विसेज, इकोनॉमिक अफेयर्स, कृषि सहयोग- किसानों के विकास, रोड ट्रांसपोर्ट और हाईवेज, शिपिंग, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन, नवीन और रिन्यूएबल एनर्जी, सिविल एविएशन और वाणिज्य में दक्षता हासिल की हुई हो.


आयु सीमा
इसके लिए अधिकतम आयु सीमा नहीं बताई गई है लेकिन न्यूनतम आयु 1 जुलाई 2018 तक 40 वर्ष होनी चाहिए. इससे कम उम्र होने पर आप एप्लाई नहीं कर सकते हैं.

कब तक दे सकते हैं आवेदन
इसके लिए 30 जुलाई 2018 तक आवेदन दिया जा सकता है.

कैसे होगा चुनाव
इसके लिए कैबिनेट सेक्रेटरी के नेतृत्व वाली एक कमिटी अभ्यर्थियों का इंटरव्यू लेगी और 15 साल का अनुभव रखने वाले अधिकारी इसके तहत अप्लाई कर सकते हैं. जो किसी मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटी से ग्रैजुएट हैं, वे इसके लिए अप्लाई कर सकते हैं, इसके अलावा इन्हें सरकारी, पब्लिक सेक्टर यूनिट, यूनिवर्सिटी के अलावा किसी निजी इंस्टीट्यूट में कम से कम 15 साल का एक्सपीरिएंस भी होना चाहिए. इन पदों के लिए प्रोफेशनल्स ही आवेदन कर सकते हैं जो पहले से कार्य कर रहे हों.

नियुक्ति सिर्फ 3 सालों के लिए ही होगी
सरकार चुने हुए कैंडिडेट्स की नियुक्ति 3 साल के लिए करेगी हालांकि विज्ञापन में बताया गया है कि बाद में इसे दो साल के लिए बढ़ाया भी जा सकता है.

मोदी सरकार पहले से ही ब्यूरोक्रेसी में सुधार लाने के लिए इस तरह के कदम की हिमायती रही है और अब ये विज्ञापन निकालकर सरकार ने इसे निश्चित भी कर दिया है. हालांकि इसे लेकर सरकार के इस फैसले पर विवाद भी शुरू हो गया है और विपक्ष ने कहा कि सरकार का ये फैसला खास लोगों को उच्च पदों पर बिठाने की साजिश है. गांधी परिवार के रिश्तेदार तहसीन पूनावाला ने इस फैसले के खिलाफ कोर्ट जाने का फैसला करने का ट्वीट किया है.