मोदी सरकार ने आंदोलन कर रहे किसानों को फिर दिया वार्ता का न्यौता, तारीख बताने को कहा
कृषि कानून को लेकर सरकार और किसानों के बीच लंबे समय से गतिरोध जारी है. इस मुद्दे पर पहल करते हुए सरकार की ओर से किसान संगठन को पत्र लिखकर बातचीत के लिए आमंत्रित किया गया है.
![मोदी सरकार ने आंदोलन कर रहे किसानों को फिर दिया वार्ता का न्यौता, तारीख बताने को कहा Modi government invited the agitating farmers again for talks, asked to give the date ANN मोदी सरकार ने आंदोलन कर रहे किसानों को फिर दिया वार्ता का न्यौता, तारीख बताने को कहा](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2020/12/21115712/Farmers-Protest.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
नई दिल्लीः क्या दिल्ली के बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों का आंदोलन जल्दी ख़त्म हो सकता है? आख़िर किसान संगठनों और सरकार के बीच जारी गतिरोध कब ख़त्म होगा? इन सवालों का जवाब तो अभी नहीं मालूम, लेकिन गतिरोध खत्म करने के लिए मोदी सरकार से एक बार फिर पहल की गई है.
सरकार ने भेजा बातचीत का आमंत्रण
कृषि मंत्रालय ने आंदोलन कर रहे किसान संगठन के नेताओं को बातचीत के लिए एक बार फिर आमंत्रित किया है. मंत्रालय में संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल की ओर से किसान नेताओं को इस बारे में एक पत्र लिखा गया है. 5 पन्नों के पत्र में किसान नेताओं को बातचीत के लिए आमंत्रित करते हुए बातचीत की तारीख़ सुझाने का भी आग्रह किया गया है. पत्र में साफ़ किया गया है कि पहले की तरह ही बातचीत विज्ञान भवन में ही आयोजित की जाएगी. पत्र में ये बात दोहराई गई है कि सरकार खुले मन से किसानों से बात करना चाहती है.
क्रांतिकारी किसान सभा करेगी मंथन
विवेक अग्रवाल का पत्र क्रांतिकारी किसान सभा के नेता दर्शनपाल सिंह की ओर से 16 दिसम्बर को कृषि मंत्रालय को भेजे गए ई मेल के जवाब स्वरूप भेजा गया है. दर्शनपाल सिंह ने 16 दिसम्बर को सरकार के उस लिखित प्रस्ताव का जवाब भेजा था जो सरकार की ओर से 9 दिसम्बर को किसान संगठनों को भेजा गया था. विवेक अग्रवाल ने अपने पत्र में लिखा है कि दर्शनपाल सिंह ने अपने ईमेल में सरकार की ओर से दिए गए प्रस्ताव का कोई विस्तृत जवाब नहीं दिया है.
पत्र में शामिल किए गए किसानों के मुद्दे
पत्र में दर्शनपाल सिंह से ये भी पूछा गया है कि उनका जवाब केवल उनका है या बाक़ी किसान नेताओं से भी मशविरा किया गया है. पत्र में उन मुद्दों का भी ज़िक्र किया गया है जो किसान संगठनों की ओर से अबतक की बातचीत में उठाए गए थे. इनमें एमएसपी जारी रखने की मांग, प्राइवेट मंडियों में टैक्स लगाना और व्यापारियों का रजिस्ट्रशन अनिवार्य करना, एपीएमसी मंडियों को बनाए रखना, प्रस्तावित बिजली विधेयक में परिवर्तन और पराली से जुड़े अध्यादेश में पेनाल्टी के नियमों में बदलाव जैसे मुद्दे शामिल हैं.
क्रांतिकारी किसान सभा बैठक में लेगी फैसला
उधर , सरकार के आमंत्रण पर विचार करने के लिए सोमवार को संयुक्त किसान मोर्चा के तत्वावधान में सभी संगठनों की बैठक होगी. इसी बैठक में ये फ़ैसला किया जाएगा कि सरकार के आमंत्रण को स्वीकार करना है या नहीं.
14 अक्टूबर को शुरू होने के बाद अबतक सरकार और किसान संगठनों के बीच 6 दौर की बातचीत हो चुकी है. सभी बैठकें अबतक बेनतीजा साबित हुई और गतिरोध तोड़ने में नाकामयाब रहीं. आख़िरी बार बातचीत 8 दिसम्बर को हुई थी जब गृह मंत्री अमित शाह और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसान प्रतिनिधियों से वार्ता की थी. उस बैठक के बाद सरकार और किसान प्रतिनिधियों के बीच वार्ता रुक गई थी.
इसे भी पढ़ें
दिल्लीः कोरोना के चलते ग्राहकों की संख्या में कमी का असर, बंद हो सकते हैं 40 फीसदी रेस्टोरेंट
अमित शाह बोले- बीजेपी बंगाल में जीतेगी तो यहीं की माटी का लाल होगा अगला सीएम
![IOI](https://cdn.abplive.com/images/IOA-countdown.png)
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)
![शंभू भद्र](https://feeds.abplive.com/onecms/images/author/fdff660856ace7ff9607d036f59e82bb.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=70)