(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Scheme To Solve Malnutrition: मोदी सरकार कुपोषण की समस्या के समाधान के लिए लाएगी नई योजना, रोड मैप हो रहा तैयार
Scheme To Solve Malnutrition: पीएम मोदी ने लाल किले से ऐलान किया था कि साल 2024 तक सभी सरकारी योजनाओं के जरिए गरीब परिवारों को विटामिन, आयरन और अन्य पोषक तत्वों से मिश्रित चावल दिया जाने लगेगा.
Scheme To Solve Malnutrition: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने लाल किले से ऐलान किया था कि साल 2024 तक सभी सरकारी योजनाओं के जरिए गरीब परिवारों को विटामिन, आयरन और अन्य पोषक तत्वों से मिश्रित चावल दिया जाने लगेगा. इसका लक्ष्य ऐसे लोगों में पोषण की कमी को दूर करना है जो इनसे वंचित रह जाते हैं. पीएम के ऐलान के बाद अब सरकार इसका रोड मैप तैयार कर रही है.
इन आंकड़ों पर गौर करिए. विश्व स्वास्थ्य संगठन और प्रसिद्ध स्वास्थ्य मैगजीन लांसेट के मुताबिक देश में हर दूसरी महिला खून की कमी की शिकार है. देश का हर तीसरा बच्चा अविकसित या छोटे कद का है. भारत का हर चौथा बच्चा कुपोषण का शिकार है. देश का हर पांचवां बच्चा कमजोर है. ग्लोबल हंगर इंडेक्स में दक्षिण एशियाई देशों में भारत का स्थान 94वां है जो केवल अफगानिस्तान (99) से ऊपर है.
जीडीपी को नुकसान
एक अनुमान के मुताबिक देश में 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों की होने वाली 68% मृत्यु का कारण कुपोषण है. कुपोषण के चलते होने वाली बीमारी, मृत्यु और उत्पादकता में कमी से देश को हर साल 7400 करोड़ रुपये का नुकसान होता है. अविकसित बच्चे वयस्क होने पर स्वस्थ लोगों की तुलना में 20 फीसदी कम कमाते हैं. आयरन की कमी से देश को हर साल 1% जीडीपी का नुकसान उठाना पड़ता है.
ऐसे में अब मोदी सरकार ने कुपोषण की समस्या का समाधान करने के लिए एक नई योजना बनाई है. इसका ऐलान खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त के दिन लाल किले से किया. अपने भाषण में उन्होंने घोषणा की कि 2024 तक किसी भी सरकारी योजना के तहत दिया जाने वाला चावल पोषक पदार्थों से लैस यानी Fortify करने के बाद ही दिया जाएगा.
चावल को पोषक पदार्थों से लैस करने का मतलब है धान से चावल निकालते समय उसमें मशीन के जरिए आयरन, फोलिक एसिड, विटामिन बी 12 और कुछ अन्य खनिज पदार्थों का मिलाया जाना ताकि चावल और पौष्टिक हो जाए. प्रधानमंत्री के ऐलान पर अब सरकार ने काम करना शुरू कर दिया है. प्रधानमंत्री ने जिन सरकारी योजनाओं का जिक्र किया, उनमें प्रमुख रूप से खाद्य सुरक्षा कानून के तहत करीब 80 करोड़ लोगों को दिया जाने वाला चावल और मिड डे मील/आईसीडीएस स्कीम के तहत स्कूलों में बच्चों को परोसा जाने वाला चावल है.
सरकार ने पहले ही देश के 15 सबसे प्रभावित राज्यों के एक-एक जिले में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर ये योजना लागू करने का फैसला किया था. हालांकि फिलहाल योजना 6 राज्यों के एक-एक जिले में प्रयोग के तौर पर चल रही है. रोड मैप के मुताबिक 1 अप्रैल 2022 से इसे देश के सबसे ज्यादा प्रभावित 250 जिलों में शुरू किया जाएगा. जबकि 2024 तक देश में चल रही किसी भी सरकारी योजना के तहत दिया जाने वाला चावल Fortify ही होगा.
जानकारों ने गिनाई कमियां
हालांकि जानकर इस योजना की कुछ कमियां भी गिना रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट के फूड कमिश्नर रहे एन सी सक्सेना के मुताबिक देश में सबसे ज्यादा कुपोषण के शिकार 0-3 साल तक के बच्चे होते हैं जबकि वो ज्यादा चावल नहीं खाते हैं. एक अहम पहलू ये भी है कि फोर्टिफाइड चावल का स्वाद बदल जाता है. ऐसे में लोगों के बीच इस तरह के चावल को लोकप्रिय बनाने के लिए कुछ और उपाय करने की भी जरूरत है.
सरकार की योजना के मुताबिक ऐसे राइस मिलों की संख्या बढ़ाई जाएगी, जिनमें चावल के फोर्टिफिकेशन की मशीन लगी हो. फिलहाल ऐसे मिलों की संख्या करीब 2650 है. इसी तरह फोर्टिफाइड चावल की जांच के लिए देशभर के कुल 52 लैबों में तकनीक को और बढ़ाए जाने का भी फैसला लिया गया है.
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