मोदी सरकार देश में बड़े कानून बदलाव की तैयारी कर रही है. इसके लिए सरकार ने नामी लॉ यूनिवर्सिटीज, सांसदों, कानूनविदों और पूर्व जजों से सुझाव मांगें हैं. सुझाव मिलने के बाद सरकार कानूनों में बड़े बदलाव करेगी.
जानकारी के मुताबिक, पहले चरण में आईपीसी, सीआरपीसी और एविडेंस एक्ट में बदलाव किए जाएंगे. केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल ने कहा, गृह मंत्रालय ने इसे लेकर सुझाव मांगे हैं, क्योंकि बहुत से कानून अब अप्रासंगिक हो चुके हैं. जबकि बहुत से नए नेचर के मामले आ चुके हैं, जिसमें पॉलीग्राफ टेस्ट, डीएनए टेस्ट आदि की धाराएं नहीं हैं. इसलिए गृहमंत्री अमित शाह ने देश की नामी लॉ यूनिवर्सिटी, कानूनविद, सांसदों, पूर्व आईपीएस अधिकारियों और पूर्व जजों से सुझाव मांगे हैं. इन सबके बीच एसपी सिंह बघेल ने कहा कि इनका यूनिफॉर्म सिविल कोड से कोई लेना-देना नहीं है.
बता दें कि यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर चर्चा इसलिए है क्योंकि देश में कई ऐसे राज्य हैं, जो यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू या स्टडी करने की बात कह चुके हैं. उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू करने को लेकर मसौदा तैयार करने के लिए राज्य सरकार ने विशेषज्ञों की एक समिति गठित करने का निर्णय लिया है. बीजेपी ने हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनाव में वादा किया था कि अगर वह उत्तराखंड में फिर से सत्ता में लौटती है तो समान नागरिक संहिता लागू करेगी.
वहीं हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू करने को लेकर उठाए गए कदम को एक 'अच्छी पहल' करार दिया और कहा कि इस विचार को उनके राज्य में कैसे लागू किया जा सकता है, इस बारे में अध्ययन किया जा रहा है.
दूसरी ओर, सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह कानून की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर हफ्ते के आखिर तक केंद्र को अपना रुख स्पष्ट करने का बुधवार को निर्देश दिया.
चीफ जस्टिस एन. वी. रमण, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की एक पीठ ने कहा कि वह मामले पर अंतिम सुनवाई पांच मई से शुरू करेगी और अब सुनवाई स्थगित करने की किसी अपील पर गौर नहीं करेगी.