श्रीनगर: आर्टिकल 370 पर केंद्र सरकार के ऐतिहासिक फैसले के बाद अब वह कश्मीर के लोगों का विश्वास जीतने का प्रयास कर रही है. इसके लिए मोदी सरकार ने आर्टिकल 370 को खत्म करने से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोगों को क्या फायदा होने वाला है इसको लेकर विज्ञापन जारी किया है.
इन विज्ञापनों में बताया गया है कि लोगों को इसका भय है कि इससे उनकी संपत्ति को खतरा होगा, जबकि ऐसा नहीं है. सरकार की तरफ से कहा गया है कि जबरदस्ती किसी पर जमीन बेचने के लिए कोई दवाब नहीं होगा. केंद्र सरकार ने विज्ञापन में कहा है कि सरकार इस तथ्य को सामने लाती है कि जो कोई भी अपनी जमीन नहीं बेचना चाहता है, उसके पास ऐसा न करने की पूरी स्वतंत्रता होगी और अनुच्छेद 370 को हटाने के कारण स्वामित्व में कोई बदलाव नहीं होगा.
इसके साथ ही सरकार की तरफ से कहा गया है कि पूरे देश में जमीन की दरों में कई गुना वृद्धि हुई है जबकि जम्मू-कश्मीर में दरें बहुत अधिक नहीं बढ़ी हैं. अब आर्टिकल 370 के खत्म होने के बाद यहां आने वाले दिनों में जमीनों के दाम बढ़ जाएंगे. इसलिए, यदि कोई ज़मींदार अपनी ज़मीन बेचना चाहता है तो उसे बढ़ी हुई क़ीमतों का फ़ायदा होगा.
सांस्कृतिक और धार्मिक मोर्चे पर आशंकाओं को ध्यान में रखते हुए, सरकार ने यह भी आश्वासन दिया है कि कश्मीर और कश्मीरियों की अनोखी संस्कृति और भाषा को कोई खतरा नहीं है. मराठों, तमिलों, गुजरातियों और अन्य लोगों की संस्कृतियों और भाषाओं को समृद्ध और विकसित होने के उदाहरणों का सरकार ने हवाला दिया है. सरकार ने आश्वासन देते हुए कहा है कि हमारे संविधान में पर्याप्त प्रावधान और सुरक्षा उपाय हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हर समूह और समुदाय के धार्मिक और सांस्कृतिक अधिकार सुरक्षित और संरक्षित रहे.
सरकार ने लोगों का विश्वास बनाए रखने के लिए यह भी स्पष्ट कर दिया है कि जम्मू-कश्मीर में निवास करने वाले सभी धर्मों का सम्मान होगा. किसी भी समुदाय या धर्म के लोगों के लिए कोई खतरा नहीं है. सरकार ने कहा है कि आर्टिकल 370 को खत्म करने का मकसद कश्मीर और लद्दाख के लोगों का आर्थिक विकास करना और अधिक रोजगार का सृजन करना है जिससे समाज के सभी वर्ग लाभान्वित होंगे.
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