नई दिल्ली: मोदी सरकार ट्रिपल तलाक बिल को कानून बनाने के लिए हर प्रयास कर रही है. इस सिलसिले में अपने दूसरे कार्यकाल के पहले संसद सत्र में लोकसभा में ट्रिपल तलाक बिल पेश किया गया है. इससे पहले यह बिल पिछले साल दिसंबर में लोकसभा में पास होने के बाद राज्यसभा में पास होने में नाकामयाब रहा था. मोदी सरकार ट्रिपल तलाक को गैरकानूनी बनाने के लिए सितंबर 2018 और फरवरी 2019 में दो बार तीन तलाक अध्यादेश जारी कर चुकी है. वर्तमान में जारी अध्यादेश की वैधता जुलाई में खत्म हो जाएगी. ऐसे में सरकार इस बार इसे पास कराने का कोई प्रयास छोड़ना नहीं चाहती हैं. कांग्रेस ने आज लोकसभा में इस बिल के प्रावधानों का विरोध किया है वहीं, एआईएमआईएम चीफ ओवैसी ने इस बिल का ही विरोध किया है.




  1. ट्रिपल तलाक बिल पिछले साल दिसंबर में लोकसभा में पास हुआ था, लेकिन उस वक्त यह बिल राज्यसभा में पास होने में असफल रहा था. इसके बाद लोकसभा के भंग हो जाने के कारण लोकसभा से पारित यह बिल निष्क्रिय हो गया है. अब इसे एक बार फिर आज लोकसभा में पेश किया गया है.

  2. आज पेश किए गए इस बिल में यह प्रावधान किया गया है कि कोई मुस्लिम पुरुष अगर ट्रिपल तलाक के जरिए अपनी पत्नी को छोड़ता है तो उसे तीन साल की सजा होगी. इसी मसले पर पिछले साल यह राज्यसभा में पास नहीं हो पाया था और विपक्षी दलों ने बिल को सेलेक्ट कमिटी के पास भेजने की मांग की थी जिसे सरकार ने खारिज कर दिया था.

  3. नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने कहा है कि वह इस बिल के मौजूदा प्रावधानों के खिलाफ है. यहां ध्यान रहे कि जेडीयू बिहार और केंद्र में बीजेपी के साथ है. लेकिन पिछले कुछ दिनों में दोनों के बीच मतभेद खुलकर सामने आए हैं.

  4. कांग्रेस पार्टी ने भी मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक-2019 का विरोध किया है. पार्टी ने विरोध के पीछे तर्क दिया है कि यह मामला सिविल नेचर का है इसलिए इस मामले में सजा का प्रावधान नहीं होना चाहिए. इससे मुस्लिम लोग पीड़ित होंगे.

  5. वहीं, सरकार का कहना है कि इससे मुस्लिम महिलाओं की स्थिति सुधरेगी और समानता स्थापित होगी. केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि ट्रिपक तलाक पर प्रस्तावित कानून सरकार के सबका साथ-सबका विकास के मुख्य वाक्य का सूचक है. उन्होंने कहा कि इससे स्त्री-पुरुष के बीच समानता आएगी.

  6. हालांकि, ट्रिपल तलाक कानून का गलत इस्तेमाल न हो इसके लिए सरकार ने बिल में कुछ बदलाव किये हैं. इसके तहत ट्रायल के दौरान आरोपी को बेल मिल सकता है. इसका प्रावधान किया गया है.

  7. बता दें कि 17वीं लोकसभा के पहले संसद सत्र में मोदी सरकार के सामने 10 अध्यादेश को कानून में बदलने की जरूरत होगी. अगर मोदी सरकार ऐसा अगले 45 दिनों के अंदर नहीं कर पाती है तो इन अध्यादेशों की वैधता खत्म हो जाएगी.

  8. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिपल तलाक को अंसवैधानिक करार दिया था. इसके बाद सरकार ने इस मामले में कानून बनाने के लिए संसद में बिल लेकर आई थी. लेकिन विपक्ष के विरोध के कारण यह बिल पास नहीं हो सका था.

  9. बता दें कि इस बार संसद में सबसे अधिक 78 महिला सांसद निर्वाचित हुई हैं. यह भारतीय संसद के इतिहास में सबसे अधिक है. इस बारे में गुरुवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी अपने अभिभाषण में जिक्र किया.

  10.  दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने ट्रिपल तलाक बिल के संसद से पास होने की उम्मीद जताई है. उन्होंने कहा कि संसद निकाह-हलाला को भी बैन करें. यह अमानवीय और जघन्य है.


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