LAC पर भारत बनाएगा 2000 किलोमीटर लंबा फ्रंटियर हाईवे, चीन के घोस्ट-विलेज पर भी होगी नजर
अरुणाचल प्रदेश में बन रहे हाईवे के बारे में जानकारी देते हुए रक्षा सूत्रों ने बताया कि ये हाईवे मगो से शुरू होकर तवांग, अपर सुबानसरी, सियांग, से होता हुआ म्यांमार सीमा के करीब विजयनगर तक जाएगा.
India Making Highway On LAC: अरुणाचल प्रदेश से सटी एलएसी (LAC) पर चीन की चालबाजियों का जवाब देने के लिए भारत 2000 किलोमीटर लंबी मैकमोहन लाइन (McMahon Line) पर पहली बार फ्रंटियर-हाईवे (Frontier Highway) बनाने जा रहा है. करीब 40 हजार करोड़ की लागत से बनने वाला ये हाईवे चीन (China) से सटी पूरी एलएसी को एक माला में जोड़ देगा.
देश की रक्षा से जुड़े उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक, फ्रंटियर हाईवे भूटान से सटे अरुणाचल प्रदेश के मगो से शुरू होकर तवांग, अपर सुबानसरी, सियांग, देबांग वैली और किबिथू से होता हुआ म्यांमार सीमा के करीब विजयनगर तक जाएगा. इस तरह से अरुणाचल प्रदेश से सटी लाइन ऑफ एक्युचल कंट्रोल यानी एलएसी पूरी तरह से एक हाईवे से जुड़ जाएगी.
अरुणाचल में पहले ही बन रहे दो नेशनल हाईवे
अरुणाचल प्रदेश में पहले से ही दो नेशनल हाईवे हैं. ट्रांस अरुणाचल हाईवे और ईस्ट-वेस्ट इंडस्ट्रियल कोरिडोर. इस तरह से अरुणाचल प्रदेश के तीनों हाईवों को अरुणाचल प्रदेश के छह इंटर कॉरिडोर हाईवे से जोड़ा जाएगा. इससे अरुणाचल प्रदेश के दूरदराज के इलाकों में जो कनेक्टिविटी नहीं थी उसको पूरा किया जाएगा.
चीन, अरुणाचल प्रदेश को दक्षिण तिब्बत का इलाका बताकर हमेशा नजरें गड़ाए बैठा रहता है. 1962 के युद्ध में चीन की सेना अरुणाचल प्रदेश के कई इलाकों तक पहुंच गई थी. उस दौरान भारतीय सेना के पास सड़क-मार्ग की ज्यादा सुविधा नहीं थी जिसके चलते सेना की मूवमेंट पर खासा असर पड़ा था.
सेना किसके साथ मिलकर बना रही है सड़कें
यही वजह है कि भारतीय सेना बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन यानी बीआरओ और राज्य सरकार के साथ मिलकर अरुणाचल प्रदेश में सड़कों का जाल बिछाने में जुटी है. सूत्रों के मुताबिक, चीन के घोस्ट-विलेज के करीब से ही भारत का ही फ्रंटियर हाईवे गुजरेगा.
सीमांत प्रदेश में बढ़ेगा टूरिज्म
ऐसे में अरुणाचल प्रदेश में टूरिज्म तो इन सड़कों के जाल के साथ बढ़ेगा ही साथ ही चीन के घोस्ट-विलेज को भी काउंटर किया जा सकता है. दरअसल, अरुणाचल प्रदेश से सटी एलएसी पर चीन ने कई घोस्ट-विलेज का निर्माण किया है. इन आधुनिक सुविधाओं वाले गांवों में चीनी सेना के पूर्व-सैनिकों को लाकर बसाया गया है. युद्ध के समय में इन गांवों को सेना के बैरक में तब्दील किया जा सकता है.