VVIP Helicopter Company: वीवीआईपी हेलीकॉप्टर घोटाले से जुड़ी इटली की कंपनी से सरकार ने बैन हटाया
VVIP Helicopter Company: कुछ साल पहले मोदी सरकार ने फिनमैकेनिका कंपनी से आंशिक बैन हटा दिया था, जिसके चलते पुराने करार जारी रखे जा सकते थे लेकिन नए हथियारों के करार पर रोक लगी हुई थी.
VVIP Helicopter Company: वीवीआईपी हेलीकॉप्टर घोटाले से जुड़ी इटली की बड़ी कंपनी लियोनार्डो (पूर्व नाम, फिनमैकेनिका) से सरकार ने अपना बैन पूरी तरह हटा लिया है. सूत्रों की मानें तो बैन हटने के बाद सरकार अब लियानार्डो कंपनी से हथियार और सैन्य उपकरण खरीदने के लिए नए करार कर सकती है. कुछ साल पहले मोदी सरकार ने फिनमैकेनिका कंपनी से आंशिक बैन हटा दिया था, जिसके चलते पुराने करार जारी रखे जा सकते थे और हथियारों के लिए जरूरी उपकरण भी खरीदे जा सकते थे, लेकिन नए हथियारों के करार पर रोक लगी हुई थी.
शर्तों के साथ बैन हटाया
सूत्रों की मानें तो रक्षा मंत्रालय ने अब इटली की कंपनी से कुछ शर्तों के साथ पूरी तरह बैन हटा दिया है. हालांकि, रक्षा मंत्रालय ने आधिकारिक तौर से इस मामले पर कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया है. सूत्रों के मुताबिक नए शर्तों में कहा गया है कि लियोनार्डो कंपनी अब नए सिरे से भारत में अपने कारोबार की शुरुआत करेगी और पुराने किसी करार को लेकर किसी भी तरह को वित्तीय क्षति की हकदार नहीं होगी. साथ ही अगस्ता वेस्टलैंड मामले की जांच पहले की तरह चलती रहेगी. ये जांच सीबीआई और ईडी कर रही हैं.
2010 में अगस्ता वेस्टलैंड कंपनी से हुआ था करार
गौरतलब है कि हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इटली की यात्रा की थी. इससे पहले थल सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने भी इटली का दौरा किया था. आपको बता दें कि वर्ष 2010 में भारत ने अगस्ता वेस्टलैंड कंपनी से 36 वीवीआईपी हेलीकॉप्टर खरीदने का करार किया था. इस सौदे की कुल कीमत करीब 3600 करोड़ थी. अगस्ता वेस्टलैंड कंपनी फिनमैकेनिका (लियोनार्डो) की ही एक सहायक कंपनी थी. वर्ष 2013 में इस सौदे में भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद उस वक्त की यूपीए सरकार ने फिनमैकेनिका कंपनी पर रोक लगा दी थी. इसके बाद जुलाई 2014 में एनडीए (मोदी) सरकार ने फिनमैकेनिका कंपनी से जुड़ी सभी कंपनियों को बैन कर दिया था.
बैन के चलते कई प्रोजेक्ट्स पर पड़ा था असर
2014 के बैन के चलते रक्षा मंत्रालय ( खासकर भारतीय नौसेना) के कई प्रोजेक्ट्स पर असर पड़ा था. क्योंकि वीवीआईपी हेलीकॉप्टर के अलावा भी कंपनी भारत की सशस्त्र सेनाओं के आधुनिकीकरण के कई प्रोजेक्ट में मदद कर रही थी. कंपनी हेलीकॉप्टर निर्माण से लेकर युद्धपोत की तोप, मिसाइल, टॉरपीडो और अंडर वाटर यूएवी इत्यादि बनाती है. बैन लगाने के वक्त भी भारत की फिनमैकेनिका से टारपीडो खरीदने को लेकर भी बात चल रही थी. यही वजह है कि मोदी सरकार ने फिनमैकेनिका कंपनी पर से आंशिक बैन हटा दिया था. ये बैन वीवीआईपी हेलीकॉप्टर सौदे के अलावा उस वक्त चल रहे बाकी प्रोजेक्ट से हटा दिया गया था. पहले से चल रहे किसी प्रोजेक्ट के लिए जरूरी स्पेयर पार्ट्स के लिए भी बैन हटा दिया गया था.
बैन लगने के बावजूद फिनमैकेनिका ने साल 2015 में बेंगलुरु में हुए एयर शो में हिस्सा लिया था. यहां तक 2016 में गोवा में हुए डिफेंस एक्सपो में भी फिनमैकेनिका ने अपना स्टॉल लगाया था. वहीं 2014 में जब यूपीए की सरकार थी तब डिफेंस एक्सपो में फिनमैकेनिका को हिस्सा लेने से खुद तत्कालीन रक्षा मंत्री ए के एंटनी ने रोक लगा दी थी. 2014 के डिफेंस एक्सपो की कर्टन-रेजर प्रेस कांफ्रेंस में एंटनी से ये सवाल पूछा गया कि फिनमैकेनिका हिस्सा ले रही है तो तब तक एंटनी को जानकारी नहीं थी. लेकिन जब पत्रकारों के सवालों के दौरान एंटनी को पता चला तो उन्होंने फिनमैकेनिका के हिस्सा लेने पर रोक लगवा दी थी, जबकि फिनमैकेनिका एक्सपो के लिए रजिस्ट्रेशन कर चुकी थी.