नई दिल्ली: संसद के शीतकालीन सत्र पर पर देश की राजनीति गरमाने लगी है. आज कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने एक साथ मोदी सरकार पर जानबूझ कर संसद के शीत सत्र में देरी करने का आरोप लगाया.


कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा, "बिना किसी कारण के संसद का शीतकालीन सत्र जो नवंबर में होता है नहीं हो रहा है. संसदीय कार्यमंत्री को भी इस बारे में नहीं पता. जिस तरह से बाकी मंत्रियों को भी कन्फर्म नहीं होता क्योंकि निर्देश पीएमओ से आते हैं.''


गुलाम नबी आजाद ने कहा, '' ये सरकार चुनाव लड़ने वाली सरकार बन गयी है. ये अकेले प्रधानमंत्री हैं जो पंचायत चुनाव से लेकर संसद चुनाव तक प्रचार में लगे रहते हैं. सरकारी पैसे का खर्च कर चुनाव प्रचार करते हैं और सिर्फ पीएम ही नहीं बल्कि केंद्रीय मंत्रियों का भी वही हाल है. हमें ऐसी सरकार चाहिए जो देश के लिए काम करें न कि हमेशा चुनाव में ही व्यस्त रहें.''


गुलाम नबी आजाद ने सरकार पर जानबूझ कर गुजरात चुनाव की तारीखों के एलान में देरी का करवाने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि साल 2012 में गुजरात और हिमाचल के चुनाव एक साथ घोषित हुए थे. इस बार हिमाचल चुनाव के लिए तो नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया लेकिन गुजरात की तारीखों का एलान 10-15 दिन के लिए टाल दिया गया. इस समय में राज्य और केंद्र सरकार ने बहुत सारी योजनाओं का एलान कर दिया.''


लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन कड़गे ने कहा, "इस साल अब तक महज़ 38 दिन ही लोकसभा चली, 10 दिन और चल जाएगी तो 48 दिन हो जाएंगे. वो चर्चा से बचना चाहते हैं नहीं तो गुजरात में उनकी पोल खुल जाएगी. मोदी सरकार से लोकतंत्र को बहुत बड़ा झटका लगा है.''


शीतकालीन सत्र पर सोनिया बनाम जेटली


शीतकालीन सत्र में देरी को लेकर सोनिया ने सीधा हमला मोदी सरकार पर किया. उन्होंने कहा, "'कहा मोदी सरकार के घमंड के चलते संसदीय लोकतंत्र प्रभावित हुआ है. हल्की वजह बताकर शीत सत्र को नुकसान पहुंचाया गया. अगर कोई लोकतंत्र के मंदिर पर ताला लगाने की सोचता है तो ये गलत है.''

सोनिया के इन सवालों पर जब गुजरात के राजकोट में वित्त मंत्री अरुण जेटली से जवाब पूछा गया तो उन्होंने कहा कि कांग्रेस बेमतलब का सवाल उठा रही है, शीत सत्र होगा और कांग्रेस को भी बेनकाब किया जाएगा.