केंद्र में सरकार बनते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कडे़ फैसले लेने शुरू कर दिए हैं. ऐसा ही फैसला तिब्बत को लेकर लिया गया है. माना जा रहा है कि इस फैसले से चीन को मिर्ची लगने वाली है. इतना ही नहीं भारत सरकार का यह कदम चीन के लिए जैसे को तैसा जवाब के तौर पर देखा जा रहा है. द डिप्लोमेट की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत सरकार ने तिब्बत के 30 स्थानों के नाम बदलने की तैयारी कर ली है. इसे चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश के स्थानों के नाम बदलने की हरकत का जवाब माना जा रहा है.


रिपोर्ट के मुताबिक, पीएम मोदी के नेतृत्व में नई NDA सरकार ने तिब्बत के इन स्थानों के नाम बदलने को मंजूरी भी दे दी है. नाम चुनने के लिए गहरी रिचर्स की गई है, इतना ही नहीं ये नाम ऐतिहासिक महत्व और तिब्बती क्षेत्र से जुड़े हुए हैं. भारतीय सेना जल्द इन नामों का ऐलान करेगी और इन्हें वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ मानचित्रों में शामिल किया जाएगा.


बताया जा रहा है कि भारत सरकार ने जिन जगहों के नामों को बदलने की मंजूरी दी है, उनमें आवासीय क्षेत्र, पहाड़, नदियां, झील और पहाड़ी दर्रे शामिल हैं. द डिप्लोमैट ने पूर्व खुफिया ब्यूरो अधिकारी बेनू घोष के हवाले से कहा कि PM मोदी अपनी मजबूत छवि के दम पर इन चुनावों को जीतना चाहते थे. इसलिए ये स्वाभाविक है कि वे अपनी छवि को बनाए रखने के लिए तिब्बती स्थानों के नाम बदलने की अनुमति देंगे.उन्होंने कहा, ये भारत द्वारा तिब्बत पर फिर से सवाल उठाने जैसा होगा.


भारत और चीन के बीच गलवान में मई 2020 में हुई हिंसक झड़प के बाद से रिश्ते तनावपूर्ण हैं. दोनों देशों के बीच इस विवाद को लेकर 20 से अधिक बार सैन्य वार्ता हो चुकी है. हालांकि, अभी विवाद पूरी तरह से झुलसा नहीं है. ऐसे में भारत के इस कदम से दोनों के बीच रिश्तों में और तनाव आने की आशंका है. 


इससे पहले चीन ने अरुणाचल प्रदेश के कई स्थानों के नामों को बदल दिया था. चीन अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्से पर अपना दावा करता है. जबकि भारत कई बार कड़े शब्दों में साफ कर चुका है कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है. चीन द्वारा नाम बदलने पर भारत की ओर से कहा गया था कि मनगढ़ंत नाम रखने से तथ्य नहीं बदलेंगे.