नई दिल्ली: कांग्रेस ने किसान आंदोलन को लेकर सोमवार को केन्द्र और मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार "किसान मुक्त भारत चाहती है." कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि बीजेपी 2014 में इस वादे के साथ में आयी थी कि वह किसानों को उनकी उपज का लागत से पचास प्रतिशत अधिक दाम दिलवायेगी. उन्होंने कहा कि बहरहाल न्यूनतम समर्थन मूल्य में कमी देखने को मिल रही है.


उन्होंने कहा, "सरकार की कथनी और करनी में अंतर है. यह किसान विरोधी सरकार किसान मुक्त भारत चाहती है." कांग्रेस नेता ने कहा कि छह जून केवल मंदसौर के लोगों के लिए ही नहीं बल्कि समूचे मध्यप्रदेश, पूरे भारत के लिए काला दिन माना जाएगा.


उन्होंने कहा, "जब आम किसान, आम नागरिक गुहार लगाता है, शासन और प्रशासन के समक्ष अपनी मांगें रखता है तब एक क्रूर शासन उन किसानों को, उन अन्नदाताओं को गोलियों से भून कर रख देता है. अगर प्रजातंत्र में आम नागरिक सरकार से मांग नहीं रख सकता और उसे लाइन में खड़ा करके मारा जाता है, तो प्रजातंत्र कहां बचा."


सिंधिया ने आरोप लगाया "पिछले तीन साल से कृषि के क्षेत्र की पूरी अनदेखी हुई है. सबसे बड़ी मार पड़ी है नोटबंदी की और जब हम इस विषय को उठा रहे थे तब केन्द्र सरकार इसे नकार रही थी. लेकिन असली नोटबंदी का असर अब छह महीने के बाद दिख रहा है. जो ये कैश लेस, डिजिटल इंडिया, स्मार्ट इंडिया, स्टेंडअप इंडिया के सारे नारे हैं उससे देश का किसान पूरी तरह से बर्बाद हो चुका है." उन्होंने कहा कि कृषि में जहां एक तरफ लागत मूल्य में लगातार वृद्धि हुई है, दूसरी तरफ समर्थन मूल्य पूरी तरह से समाप्त हो चुका है.


कांग्रेस नेता ने कहा, "सरकार के प्रतिनिधि कहते हैं कि जो किसान मर रहे हैं वो सब्सिडी चाहने वाले हैं. ऋण माफी की गुहार देश के हर कोने से उठ रही है, लेकिन मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री कहते हैं कि ऋण माफी मुद्दा ही नहीं. अगर ऋण माफी मुद्दा ही नहीं है तो मध्यप्रदेश में पिछले 3 सालों में 21 हजार अन्नदाताओं ने खुदखुशी क्यों की. अगर ऋण माफी मुद्दा नहीं है तो पिछले 10 दिन में मध्यप्रदेश में 13 किसानों ने आत्महत्या क्यों की? जिसमें से चार किसान मुख्यमंत्री के विधानसभा क्षेत्र बुधनी से आते हैं.''