नई दिल्ली: चुनावों से पहले किसानों का गुस्सा मोदी सरकार को भारी पड़ सकता है. इसी मुश्किल से पार पाने के लिए मोदी कैबिनेट की अहम बैठक में आज रबी की फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोत्तरी पर मुहर लग सकती है. बजट में मोदी सरकार ने किसानों को उनकी लागत का कम से कम डेढ़ गुना कीमत देने का वादा किया था. इसी वादे को पूरा करते हुए इस साल जुलाई में धान समेत सभी ख़रीफ़ फ़सलों के एमएसपी में बड़ी बढ़ोत्तरी की गई थी और अब रबी की फसलों पर एमएसपी बढ़ाए जाने की पूरी उम्मीद है.


गेहूं का समर्थन मूल्य 105 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ेगा
एबीपी न्यूज़ को मिली जानकारी के मुताबिक़ रबी मौसम की सभी 6 फसलों के लिए एमएसपी तय की जाएगी. इन फसलों में सबसे अहम गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 105 रुपए की बढ़ोत्तरी का प्रस्ताव है. इसे 1735 रूपए प्रति क्विंटल के वर्तमान भाव से बढ़ाकर 1840 रुपए प्रति क्विंटल किए जाने की संभावना है. वहीं चना का समर्थन मूल्य 220 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ाकर 4620 रुपया प्रति क्विंटल करने का प्रस्ताव है. जबकि मसूर का मूल्य 225 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ा कर 4475 रुपए प्रति क्विंटल किए जाने की संभावना है.


सरसों का मूल्य 200 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ाकर 4200 रुपए प्रति क्विंटल और जौ का समर्थन मूल्य 30 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ाकर 1440 रुपए प्रति क्विंटल करने का प्रस्ताव है. वैसे सबसे बड़ा उछाल सूरजमुखी के समर्थन मूल्य में प्रस्तावित है. इसे 4100 रुपए प्रति क्विंटल के वर्तमान स्तर से बढ़ाकर 4945 रुपए प्रति क्विंटल करने का प्रस्ताव है. यानि 845 रूपए प्रति क्विंटल का इज़ाफ़ा .


अगले साल अप्रैल-मई में होगी खरीद
नया समर्थन मूल्य इस साल नम्बर में बोई जाने वाली रबी फसलों के लिए लागू होगा. हालांकि, इन फसलों की खरीद अगले साल अप्रैल-मई में होगी. सरकार हर साल बुआई सीजन ( नवम्बर ) के पहले रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य का ऐलान करती है. मोदी सरकार को उम्मीद होगी कि अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों के दौरान होने वाली इस ख़रीद में किसानों को लाभ होता है तो उसका चुनावी फायदा भी हो सकता है .


लागत से डेढ़ गुना मिलेगा समर्थन मूल्य
इस साल अपने बजट में मोदी सरकार ने किसानों को उनकी लागत का कम से कम डेढ़ गुना कीमत देने का वादा किया था. इसी वादे को पूरा करते हुए इस साल जुलाई में धान समेत सभी खरीफ फसलों के एमएसपी में बड़ी बढ़ोत्तरी की गई थी. सूत्रों का कहना है कि इसी वादे के तहत अब सरकार रबी फसलों में एमएसपी में भी बढ़ोतरी करने जा रही है. हालांकि सूत्रों का दावा है कि गेहूं का समर्थन मूल्य पहले से ही लागत का डेढ़ गुना है लेकिन इसके बावजूद इस बार भी उसे बढ़ाया जा रहा है.


किसानों की है ये प्रमुख मांग
अन्य मांगों के अलावा दिल्ली-यूपी सीमा पर आंदोलन कर रहे किसानों की एक सबसे प्रमुख मांग उनको मिलने वाले समर्थन मूल्य को लेकर है. उनकी मांग है कि जिस फॉर्मूले के आधार पर सरकार उन्हें डेढ़ गुना दाम देने की बात कह रही है वो सही नहीं है. आंदोलनकारी किसान 'स्वामीनाथन आयोग' की रिपोर्ट में सुझाए गए C2 फॉर्मूले के आधार पर एमएसपी चाहते हैं जबकि सरकार A2+FL फॉर्मूले का इस्तेमाल कर रही है. C2 फॉर्मूले में किसानों ने जमीन के एवज में दिए जाने वाले किराए को भी शामिल किया जाता है.