नई दिल्ली: फिलहाल देश के कुल हवाई क्षेत्र यानि एयर स्पेस का केवल 60 फीसदी हिस्सा ही नागरिक उड्डयन के कॉमर्शियल फ्लाइट के काम आता है. बाक़ी का ज़्यादातर हिस्सा सेना के काम के लिए आरक्षित होता है. अगर आप देश के एक शहर से दूसरे शहर की यात्रा हवाई मार्ग के ज़रिए करते हैं तो ये ख़बर आपके लिए अच्छी है. जल्द ही आपकी हवाई यात्रा की दूरी कम हो सकती है. चौंकिए मत, ऐसा होने की संभावना बनी है मोदी सरकार के एक फ़ैसले से. सरकार ने एलान किया है कि भारतीय हवाई क्षेत्र यानि एयर स्पेस का विस्तार किया जाएगा. ये एलान कोरोना महामारी के चलते प्रभावित हुई भारतीय अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सरकार की ओर से ऐलान किए गए क़दमों का हिस्सा है.


फ़िलहाल केवल 60 फ़ीसदी एयर स्पेस है उपलब्ध


दरअसल देश के कुल हवाई क्षेत्र यानि एयर स्पेस का केवल 60 फ़ीसदी हिस्सा ही फिलहाल नागरिक उड्डयन के कॉमर्शियल फ्लाइट के काम आता है. बाक़ी का ज़्यादातर हिस्सा सेना के काम के लिए आरक्षित होता है. इसके चलते आम लोग जिन हवाई जहाजों में यात्रा करते हैं उसे दो शहरों के बीच ज़्यादा दूरी तय करनी पड़ती है. इसके चलते आने जाने में समय भी ज़्यादा लगता है. अब मोदी सरकार ने एलान किया है कि एयर स्पेस का विस्तार किया जाएगा.


सरकार का दावा - हर साल बचेंगे 1000 करोड़


सरकार के मुताबिक़ अगले दो महीने के भीतर नागरिक उड्डयन मंत्रालय और भारतीय वायु सेना के बीच इस बारे में समन्वय स्थापित कर थोड़ा और एयर स्पेस खोलने के तरीकों पर बातचीत हो जाएगी. अगर एयर स्पेस का विस्तार होता है तो कॉमर्शियल फ्लाइटस को दो शहरों के बीच दूरी तय करने में लगने वाले समय में कम समय लगेगा. वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर के मुताबिक, दूरी घटने से समय की बचत तो होगी ही, ईंधन की खपत में भी कमी आएगी. सरकार का दावा है कि इसके चलते हर साल नागरिक उड्डयन सेक्टर को 1000 करोड़ रुपये की बचत होने का अनुमान है.


नागरिक उड्डयन के क्षेत्र में एक और अहम कदम उठाते हुए ऐलान किया गया कि हवाई जहाजों के रखरखाव और मरम्मत के लिए देश में ही प्रतियोगी माहौल बनाया जाएगा ताकि इस काम के लिए हवाई जहाजों या उनके कल पुर्जों को विदेश जाने की नौबत नहीं आए. इसके लिए सरकार ने करों में कटौती और अन्य सुविधाएं देने का एलान किया है.


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