नई दिल्ली: भारत-अफगानिस्तान मित्रता में जल्द ही एक नया आयाम जुड़न वाला है. भारत इस बार काबुल में रह रहे लोगों को पीने और सिंचाई का पानी मुहैया कराने के लिए काबुल नदी की ट्रिब्यूटरी यानी उप-नदी, मैदान नदी पर बांध का निर्माण करने वाला है. न्यू डेवलपमेंट पार्टनर्शिप के तहत भारत इस शतूत बांध का निर्माण करेगा. भारत सरकार ने इसका एलान कर दिया है और जल्द ही इस संबंध में अफगानिस्तान सरकार के साथ एमओयू भी कर लिया जाएगा.


प्रस्ताव के मुताबिक, भारत शतूत बांध के साथ ही वाटर ट्रीटमेंट प्लांट, बांध से ट्रीटमेंट प्लांट तक पानी ले जाने के लिए पाइपलाइन, सड़क और आफिस के लिए बिल्डिंग्स भी बनाएगा. बांध के ज़रिए 57 MCM हर साल पीने का पानी और 22.5 MCM सिंचाई का पानी काबुल शहर को मिल सकेगा. शतूत बांध के इस प्रोजेक्ट पर करीब 286 मिलियन यूएस डॉलर्स का खर्च आएगा.


आपको बता दें कि भारत साल 2001 से ही लगातार अफगानिस्तान के पुनर्गठन में अग्रिम भूमिका निभा रहा है. इसके तहत अब तक करीब 400 डेवलपमेंट प्रोजेक्ट पूरे किए जा चुके हैं और करीब 150 विकास के भारतीय प्रोजेक्टों पर अफगानिस्तान के सभी 34 प्रोविन्सो में काम चल रहा है.


यही वजह है कि भारत को अफगानिस्तान के पुनर्गठन में मदद करने वाले सबसे बड़े देशों में माना जाता है. सलमा डैम हो, अफगानिस्तान के संसद कि इमारत हो, ज़ारान्ज से डेलाराम हाईवे बनाना या फिर खुमरी से काबुल तक पावर ट्रांसमिशन लाईन बिछाना. भारत की तरफ से अफगानिस्तान के पुनर्गठन के लिए किए गए कुछ ऐसे काम हैं जो भारत और अफगानिस्तान दोस्ती कि गवाही देते हैं.


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