नई दिल्ली: देश में जानलेवा कोरोना वायरस के प्रकोप के बीच केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने बड़ा फैसला किया है. सरकार ने कंपनीज़ एक्ट में बदलाव कर दिया है. कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (सीएसआर) के लिए प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष के साथ पीएम केयर्स को भी अधिकृत किया गया है. यानी अब सीएसआर फंड पीएम केयर्स फंड में भी दिए जा सकेंगे.
कंपनियों की तरफ से दान भी CSR खर्च में माना जाएगा
बता दें कि इससे पहले मार्च में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ट्वीट कर बताया था कि पीएम-केयर्स में किए गए किसी भी योगदान को सीएसआर खर्च माना जाएगा. इसके बाद कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने ज्ञापन जारी करके स्पष्ट कर दिया था कि कंपनियों की तरफ से दान किए गए धन को उनकी सीएसआर गतिविधि में गिना जाएगा.
कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (सीएसआर) क्या है?
कॉर्पोरेट सोशल रेस्पोंसिबिलिटी यानी सीएसआर का मतलब कंपनियों को उनकी सामाजिक जिम्मेदारी के बारे में बताना है. भारत में CSR के नियम एक अप्रैल 2014 से लागू हैं.
क्या हैं नियम?
- जिन कम्पनियों की सालाना नेटवर्थ 500 करोड़ रुपए
- या सालाना आय 1000 करोड़ की
- या सालाना लाभ पांच करोड़ का हो तो उनको सीएसआर पर खर्चा करना जरूरी होता है.
गौरतलब है कि पीएम केयर्स फंड का गठन कोरोना वायरस से लड़ने के लिए एक ट्रस्ट की तरह 27 मार्च को किया गया. इस कोष के प्रबंधन की अध्यक्षता खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथ में हैं. पीएम केयर्स फंड से 3100 करोड़ रुपये के आवंटन का निर्णय लिया गया है. इसमें से 2000 करोड़ रुपये की धनराशि 50 हजार वेंटिलेटर की खरीद के लिए रखी जा रही है. वहीं प्रवासी मजदूरों की देखभाल के लिए 1000 करोड़ रुपये का इस्तेमाल किया जाएगा.
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