Eastern and Western Freight Corridor: भारतीय पैसेंजर ट्रेनों के साथ-साथ गुड्स ट्रेनों की आवाजाही को गति देने पर भी पूरा फोकस क‍िया जा रहा है. मालगाड़ि‍यों के ल‍िए भी रेलवे ट्रैकों को ज्‍यादा अनुकूल  बनाने के साथ उनको डेड‍िकेटेड फ्रेट कॉर‍िडोर देने पर भी तेजी से काम क‍िया गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने जहां सोमवार (30 अक्‍टूबर) को वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के 77 किलोमीटर लंबे न्यू भांडू-न्यू साणंद कॉर‍िडोर को राष्ट्र को समर्पित किया था. वहीं अब रेलवे का ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (ईडीएफसी) भी पूरी तरह से तैयार है. माना जा रहा कि इस कॉर‍िडोर की शुरुआत 1 नवंबर की जा सकती है.    


ब‍िजनेस स्‍टैंडर्ड की र‍िपोर्ट के मुताब‍िक, डीएफसीसी के मैनेज‍िंग डॉयरेक्‍टर आरके जैन का कहना है क‍ि ईस्‍टर्न डीएफसी पंजाब के लुधियाना से पश्चिम बंगाल तक व‍िस्‍तार‍ित है. यह पूरा कॉर‍िडोर 1337 किलोमीटर लंबा है ज‍िस पर करीब 55,000 करोड़ की लागत आई है. इस कॉर‍िडोर का सबसे बड़ा फायदा बिजली उत्पादन करने वाले उत्‍तर प्रदेश, पंजाब, हर‍ियाणा और राजस्‍थान के कुछ ह‍िस्‍सों को कोयला की शीघ्र आपूर्त‍ि के रूप में होगा. 


इस बीच देखा जाए तो ईडीएफसी के पहले सेक्‍शन का उद्घाटन द‍िसंबर, 2020 में किया गया था. करीब 3 साल के बाद अब इस पूरे प्रोजेक्‍ट को पूरा करने के बाद ऑपरेशनल करने की तैयारी है.  


ईडीएफसी के सेक्‍शनों पर हर रोज 250 ट्रेनों को दौड़ाने की क्षमता 


फ्रेट कॉरिडोर मालगाड़ियों को अपना विशेष ट्रैक म‍िल सकेगा ज‍िससे के बाद रेलवे नेटवर्क पर यातायात में कमी आएगी. माल की आवाजाही तेज हो सकेगी. पैसेंजर रेलवे ट्रैक पर संचाल‍ित होने की वजह से इन गुड्स ट्रेनों की स्‍पीड कम होती है लेक‍िन डेड‍िकेटेड कॉर‍िडोर पर इन ट्रेनों की औसतन गत‍ि 50-60 किमी प्रति घंटे हो सकेगी. यह नियमित रेलवे ट्रैक की तुलना में लगभग तीन गुना ज्‍यादा होगी. साल 2020 से ईडीएफसी के कई सेक्‍शनों पर 140 ट्रेनें चल रही हैं और इन ट्रैक की क्षमता प्रत‍िद‍िन 250 ट्रेनें चलाने की है.  
 
'बि‍हार से यूपी गुड्स ट्रेन 18-20 घंटे में पहुंचेगी'  


डीएफसी के अध‍िकार‍ियों के मुताब‍िक, ब‍िहार के मुगलसराय सेक्‍शन पर भीड़भाड़ की वजह से सोननगर से दादरी तक फ्रेट ट्रेनों को पहुंचने में करीब 35-50 घंटे लगते हैं लेक‍िन ईडीएफसी के ऑपरेशनल होने के बाद अब मात्र 18-20 घंटे ही लगेंगे. 


भव‍िष्‍य में कोयला संकट से निपटने में मददगार साब‍ित होंगे ये कॉर‍िडोर  


देश में कोयले की सप्‍लाई और उसके संकट से न‍िपटने के ल‍िए केंद्र सरकार की डेड‍िकेटेड फ्रेट कॉर‍िडोर योजना बेहद खास है. इस तरह के कॉर‍िडोर बनाकर केंद्र सरकार भव‍िष्‍य में उत्‍पन्‍न होने वाले कोयले के संकट से आसानी से न‍िपट सकेगी. गुड्स ट्रेनों को सुगम ट्रांसपोर्टेशन के ल‍िए ट्रैक उपलब्‍ध हो सकेंगे. केंद्र सरकार के प्रयासों से तैयार किये जा रहे ईस्‍टर्न और वेस्‍टर्न डीएफसी दोनों इस द‍िशा में मददगार साबित होंगे. दोनों कॉर‍िडोर की लागत 54 फीसदी से ज्‍यादा होने की वजह से 1.24 ट्रिलियन रुपये हो गई है. संशोधित लागत का प्रस्ताव केंद्रीय मंत्रिमंडल को भी भेजा गया था. 


साल 2015 में कैबिनेट ने दोनों फ्रेड कॉर‍िडोर की अनुमान‍ित संशोधित लागत 81,459 करोड़ रुपये को मंजूरी दी थी. डीएफसी एमडी के मुताबिक लेटेस्‍ट संशोधन में भूमि अधिग्रहण के लिए 21,846 करोड़ रुपये और निर्माण और अन्य लागतों को 1.02 ट्रिलियन की राश‍ि भी शामिल हैं. 


पहले साल 2018 तक पूरा करना था प्रोजेक्ट का न‍िर्माण कार्य


ईडीएफसी प्रोजेक्‍ट की बात करें तो इसको 15 साल से अधिक समय पहले मंजूरी दी गई थी. इसमें भूमि अधिग्रहण, कॉन्‍ट्रेक्‍ट देने में देरी, सलाहकारों की नियुक्ति, लोन अप्रूवल और हाल ही में कोविड -19 महामारी की वजह से हुई बड़ी पर‍ेशान‍ियां आद‍ि शाम‍िल हैं. इसकी वजह को नि‍र्धार‍ित समय सीमा 2017-18 के भीतर प्रोजेक्‍ट को पूरा नहीं क‍िया जा सका और लागत में भी बड़ी वृद्ध‍ि हुई है.  


माल वहन की क्षमता 2036 तक बढ़कर 251 मिलियन टन होने का अनुमान  


ईडीएफसी की ओर से साल 2021-22 में 153 मिलियन टन ट्रैफ‍िक का अनुमान लगाया गया था ज‍िसके 2036-37 तक बढ़कर 251 मिलियन टन होने की संभावना है. इसी तरह, वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर से 2021-22 में 161 मिलियन टन माल ले जाने की उम्मीद थी. उपर्युक्‍त अवधि के दौरान यह बढ़कर 284 मिलियन टन हो जाएगा. 


साहनेवाल से खुर्जा तक मालगाड़ी चलाने का ट्रायल रन रहा सफल 


इकोनॉमिक टाइम्‍स की र‍िपोर्ट के मुताब‍िक, ईडीएफसी के 401 किलोमीटर लंबे न्यू साहनेवाल (पंजाब) से न्यू खुर्जा (उत्तर प्रदेश)  सेक्‍शन पर पहली मालगाड़ी का सफल ट्रायल रन किया गया था. इस ट्रायल रन के सफल होने के बाद अब इसको 1337 किलोमीटर लंबे रूट पर पूरी तरह से ऑपरेशनल करने का रास्‍ता साफ हुआ है. इस दौरान 389 किलोमीटर ट्रैक पर मालगाड़ी का संचालन किया गया था. 


ट्रायल रन के दौरान चलाई गई थी 46 खाली वैगन और एक ब्रेक कोच वाली गुड्स ट्रेन  


इस गुड्स ट्रेन में 46 खाली वैगन और एक ब्रेक कोच को शामि‍ल किया गया था. वहीं, 1046 किमी लंबा वेस्‍टर्न डीएफसी खुर्जा को जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह (महाराष्ट्र) से जोड़ेगा. वेस्टर्न कॉरिडोर का अभी करीब 70 फीसदी कार्य ही पूरा हो पाया है. इस साल चालू व‍ित्‍तीय वर्ष में इसके 95 फीसदी तक बनकर तैयार होने की संभावना है. 


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