नई दिल्ली: अमेरिका की ‘टाइम मैग्जीन’ के कवर पेज पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 'डिवाइडर इन चीफ' बताने वाले लेखक आतिश तासीर ने ‘ओवरसीज सिटिजन ऑफ इंडिया’ का स्टेटस गंवा दिया है. बताया जा रहा है कि आतिश तासीर ने कथित तौर पर यह तथ्य छुपाया कि उनके पिता पाकिस्तानी मूल के थे. पीएम मोदी पर लिखे 'डिवाइडर इन चीफ' वाले लेख पर भारत में आतिश तासीर की काफी आलोचना हुई थी.


जिसके माता-पिता पाकिस्तानी हों उन्हें नहीं मिलता OCI स्टेटस- सरकार


गृह मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने बताया कि नागरिकता अधिनियम 1955 के मुताबिक, तासीर ओसीआई कार्ड के लिए अयोग्य हो गए हैं, क्योंकि ओसीआई कार्ड किसी ऐसे व्यक्ति को जारी नहीं किया जाता है, जिसके माता-पिता या दादा-दादी पाकिस्तानी हों और उन्होंने यह बात छिपा कर रखी थी. प्रवक्ता ने बताया कि तासीर ने स्पष्ट रूप से बहुत बुनियादी जरूरतों को पूरा नहीं किया और जानकारी को छुपाया है.


नागरिकता अधिनियम के मुताबिक, अगर किसी व्यक्ति ने धोखे से, फर्जीवाड़ा करके या तथ्य छुपाकर ओसीआई कार्ड हासिल किया है तो ओसीआई कार्ड धारक के रूप में उसका रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया जाएगा और उसे काली सूची में डाल दिया जाएगा. साथ ही, भविष्य में उसके भारत में प्रवेश करने पर भी रोक लग जाएगी.


टाइम मैग्जीन विवाद से सरकार का इनकार


प्रवक्ता ने इस बात से भी इनकार किया कि सरकार टाइम मैग्जीन में आलेख लिखने के बाद से तासीर के ओसीआई कार्ड को रद्द करने पर विचार कर रही थी. इस आलेख में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना की गई थी. वहीं, गृह मंत्रालय के बयान पर तासीर ने ट्विटर पर कहा कि उन्हें जवाब देने के लिए 21 दिन नहीं, बल्कि 24 घंटे दिए गए थे.


इसी साल चर्चा में आए थे आतिश अली तासीर


38 साल के लेखक आतिश अली तासीर साल 1980 में ब्रिटेन में पैदा हुए थे. तासीर पाकिस्तान के दिवंगत नेता और पंजाब प्रांत के गवर्नर सलमान तासीर और भारतीय पत्रकार तवलीन सिंह के बेटे हैं. तासीर इसी साल मई में चर्चा में आए थे, जब उन्होंने ‘टाइम मैग्जीन’ में पीएम मोदी को लेकर 'डिवाइडर इन चीफ' नाम से एक लेख लिखा था. इस लेख में पीएम मोदी की आलोचना की गई थी.


लेख में क्या लिखा गया था?


'डिवाइडर इन चीफ' नाम के लेख में तासीर ने लिखा था, ‘’दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र भारत क्या पांच साल और मोदी सरकार को सह सकता है? लोकलुभान वादों की राजनीति में फंसने वाला भारत दुनिया का सबसे पहला लोकतंत्र है. मोदी की सरकार में हर तबका अल्पसंख्यक, उदारवादी और निचली जातियों से लेकर मुस्लिम और ईसाई पर भी हमले हुए हैं. मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान कोई भी आर्थिक नीतियां सफल नहीं नहीं हो पायीं. मोदी ने अपने कार्यकाल में सिर्फ जहरीले धार्मिक राष्ट्रवाद का माहौल बनाया है.''


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